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दालों का उत्पादन व समर्थन मूल्य बढ़ा पर निर्यात से होगा किसानों को फायदा

किसानों की आय दोगुनी करने के लिए अपनाए जा रहे साधनों में दलहन का उत्पादन बढ़ाना भी शामिल है। दलहन का उत्पादन बढ़ा है, लेकिन अभी किसानों को उसका ठीक से लाभ नहीं मिल पा रहा है। इसके लिए जरूरी है कि दलहन का मूल्य संवर्धन किया जाए। इसके लिए दालों के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए लोगों को प्रोत्साहित करने के साथ निर्यात के मार्ग भी खोले जाने चाहिए। यह कहना है भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के उप महानिदेशक (उद्यानिकी एवं सीएस) डॉ. ए.के. सिंह का। यहां दुर्गापुरा स्थित राजस्थान कृषि अनुसंधान संस्थान में आयोजित अखिल भारतीय समन्वित चना अनुसंधान परियोजना की 23वीं समूह बैठक के दौरान डॉ. ए.के. सिंह ने कहा कि देश में लोगों के पोषण में प्रोटीन की कमी है। इसके लिए दालों का उपयोग महत्वपूर्ण है। लोगों को प्रोटीन की मात्रा बढ़ाने के लिए भी दालों का उत्पादन बढ़ाना जरूरी है। उत्पादन बढ़ा है, लेकिन किसानों को उसका लाभ मिलना अभी बाकी है। समर्थन मूल्य भी बढ़ा है, लेकिन जब तक निर्यात के लिए समुचित प्रयास नहीं होंगे, लाभ की मात्रा नहीं बढ़ेगी।
डॉ. सिंह ने कहा कि उत्पादन बढ़ाने के लिए तकनीकी प्रबंधन पर जोर दिया गया है। इसके तहत दलहन की ऐसी कई नई प्रजातियां विकसित की हैं, जो मौसम और क्षेत्र के अनुरूप सहिष्णु हो सकें। ये किस्में कम बारिश या बारानी खेती वाले क्षेत्र के लिए भी उपयोगी हो सकती हैं। उन्होंने कहा कि अगली बैठक में राजस्थान में चने की फसल उगने के बाद चर्चा की जाएगी, ताकि खेत में जाकर लाइव देखा जा सके कि क्या उपलब्धि और क्या समस्या आ रही है।

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