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‘नाटकों का सामाजिक जीवन में महत्व’ विषय पर परिचर्चा

पीलीबंगा | अखिल भारतीय साहित्य परिषद, श्री जय लक्ष्मी साहित्य कला व नाटक मंच के संयुक्त तत्वावधान में कस्बे के वार्ड पांच में 'नाटकों का सामाजिक जीवन में महत्व' विषय पर परिचर्चा हुई। मुख्य अतिथि राजस्थानी फिल्मों के सह डायरेक्टर गुरमीत सिंह थे। परिचर्चा में साहित्यकार रेशम अटवाल ने कहा कि अच्छे नाटक स्वस्थ समाज का निर्माण करते है। बिना नाटकों के एक अच्छे समाज का निर्माण संभव नहीं है। नाटक की विभूतियों ने अच्छे नाटकों का निर्माण किया हैं। रंगमंच कलाकार एवं कवि हरिकृष्ण वर्मा ने कहा कि नाटक हमारे जीवन का एक अहम हिस्सा है। समाज को समय-समय पर प्रखर प्रेरणाएं दी हैं और विभिन्न विभूतियों ने नाटक के माध्यम से समाज को शुभ संदेश दिया है। लेखक विजय बवेजा ने भी नाटक का महत्व बताते हुए कहा कि इसके जरिए सामाजिक जीवन में विभिन्न बुराइयों को दूर किया जा सकता है। स्वस्थ समाज का निर्माण करने में नाटकों का महत्वपूर्ण योगदान रहा हैं। गुरमीत सिंह ने कहा कि नाटकों में अभिनय करने से फिल्म कला में आसानी से प्रवेश मिल जाता है तथा कलाकार की कला में भी निखार आता है। गजल गायक नवदीप भनोत ने नाटकों की समाज में महत्वपूर्ण भूमिका पर चर्चा कीं। परिचर्चा में अन्य सदस्य रवि कायल, आनंद वर्मा, जितेंद्र बे गड़ व जितेंद्र जीत गोदारा आदि ने विचार रखे। परिचर्चा का संचालन विजय बवेजा ने किया। 

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