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व्यंग्यात्मक विरोध| ऐतिहासिक गांव कालीबंगा में आज तक नहीं बना वाटर वर्क्स तो अपनाया यह रास्ता


कालीबंगा गांव को पेयजल के लिए नहरी पानी न देकर गांव को कैंसर जैसी महामारी से बचाने के लिए यश्स्वी विधायक द्रोपती मेघवाल का धन्यवाद'। यह किसी की सफलता में लिखे गए वाक्य नहीं है बल्कि ये है विरोध का अनूठा तरीका है। यानी गांधीगिरी, जो अपनी ही पार्टी की विधायक के प्रति कार्यकर्ताओं ने अपनाया है। दरअसल, ग्राम पंचायत कालीबंगा में सोमवार को ऋण माफी योजना के तहत काश्तकारों को ऋण माफी के प्रमाण पत्र वितरित करने के लिए सहकारी समिति कार्यालय में शिविर लगाया गया था। 
वहां पहुंची विधायक का गांव के नाराज भाजपा कार्यकर्ताओं ने कुछ इसी तरह से विरोध किया। उन्होंने अनूठा तरीका अपनाते हुए होर्डिंग पर यह वाक्य लिखवा दिए। गांव को ग्रामीणों की बार-बार मांग के बाद भी पेयजल के लिए नहरी पानी उपलब्ध नहीं करवाने से रोषित इन भाजपा कार्यकर्ताओं ने विधायक के आगमन पर गांव के बस स्टैंड पर बड़े-बड़े होर्डिंग्स लगाकर ग्रामीणों को नहरी पानी उपलब्ध न करवाने पर उनका आभार जताते हुए गांधीगिरी से विधायक का विरोध किया। 
विश्व प्रसिद्ध गांव कालीबंगा में 300 घरों की आबादी है फिर भी यहां के ग्रामीणों को आज तक नहरी पानी नसीब नहीं हुआ। हैरानी यह है कि यहां वाटर वर्क्स तक नहीं है। ग्रामीण नलकूप,हैडपंप या फिर ट्यबवैल का पानी पी रहे हैं, जो बीमारियों को न्योता दे रहा है। सूत्रों के अनुसार कई वृद्ध लोगों को तो जमीन का पानी पीने से घुटनों में दर्द तक की शिकायत आ चुकी है लेकिन आज तक उन्हें वाटरवर्क्स का पानी नहीं मिला। 
विधायक: योजना स्वीकृत करवाई है, राजनीति स्वार्थ से अटका है काम 
मैंने कालीबंगा पंचायत में 3 करोड़ 40 लाख की लागत से पेयजल योजना स्वीकृत करवाकर जलदाय विभाग को सिंचाई विभाग से एनओसी दिलवा दी है। परंतु पंचायत के ही कुछ लोग राजनैतिक स्वार्थ के चलते इस योजना में रोड़ा अटका रहे हैं परंतु शीघ्र ही इस योजना को शुरू करवा देंगे। 
सरपंच: गांव की समस्या वाजिब है, लेकिन एक पक्ष ने स्टे ले रखा है 
वहीं सरपंच सरिता झोरड़ ने बताया कि पीने के पानी की समस्या वाजिब है लेकिन यहां एएडब्ल्यू और एएसएस डब्ल्यू वितरिका के पानी को लेकर दो पक्ष आमने-सामने है। एक पक्ष ने कोर्ट से स्टे ले रखा है। इस कारण पेयजल योजन स्वीकृत नहीं हो पाई है। 
विश्व प्रसिद्ध गांव में 300 घरों की आबादी, फिर भी ग्रामीण पी रहे जमीनी पानी, आज तक यहां नहीं पहुंचा नहरी पानी, लोग दशकों से कर रहे वाटर वर्क्स की मांग 
कार्यकर्ता बोले- ऐतिहासिक गांव में नहीं है पीने लायक पानी: विरोध करने वाले सुरेंद्र झोरड़, वार्ड पंच विनोद वर्मा, किसान संघर्ष समिति के अध्यक्ष सुनील झोरड़, पूर्व उपसरपंच अमीचंद झोरड़, भूषण गोयल व मुखराम सहारण आदि ने बताया कि कालीबंगा एक ऐतिहासिक गांव है। यहां वाटर वर्क्स तक नहीं है। ऐसे में ग्रामीण कहां जाएं। उनका कहना था कि विरोध का यह तरीका उन्हें अपनाना पड़ा। ताकि हर जन को यह पता चले कि वाकई समस्या कितनी गंभीर है। 

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