काव्य गोष्ठी में कविताओं से बताया लोकतंत्र में मतदान और मतदाता का महत्व
पीलीबंगा| अखिल भारतीय साहित्य परिषद व श्री जयलक्ष्मी साहित्य कला एवं नाटक मंच के संयुक्त तत्वावधान में रविवार को मंच के कला भवन में मतदाता जागरुकता में साहित्य का योगदान विषय पर एक परिचर्चा का आयोजन वरिष्ठ कवि निशांत की अध्यक्षता में किया गया। परिचर्चा में कवि बलविंद्र भनौत ने कहा कि सद्साहित्य ही समाज को सही दिशा दिखाकर मतदाता को जागरूक कर सकता है। मदन पारीक ने कहा कि आज कल लोकतंत्र पर नोट तंत्र हावी हो जाने से राजनीति दूषित हो चुकी है। कवि निशांत ने कहा कि आज तानाशाही बढ़ रही है, पूंजीवाद का वर्चस्व है। ऐसे में लोकतंत्र मृत प्राय हो चुका है। प्रकाश बिश्नोई ने कविता 'जब मतदाता जाग जाएगा' व नवदीप भनौत ने 'ये नेता कैसा है कहता है कि मतदान करो' पेश कर मतदान की महत्वता को कविता के माध्यम से पेश किया। विजय बवेजा ने परिचर्चा का संचालन करते हुए कहा कि आज की इस दूषित राजनीति में मतदाताओं को जागरूक केवल साहित्य ही कर सकता है लेकिन उसके लिए मतदाताओं को साहित्य की ओर आकर्षित करने की सबसे महत्वपूर्ण जिम्मेवारी भी साहित्यकारों की ही हैं। वे अपना कर्तव्य निभाते हुए सद्साहित्य लिख कर ही ऐसा कर सकते हैं। परिचर्चा में अध्यापक सुखविंद्र शर्मा, राकेश वर्मा, सोहनलाल व चंद्रशेखर ने भी विचार व्यक्त किए।
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