किसानों के लिए संकट; अाईजीएनपी में 28 तक सिर्फ पेयजल मिलेगा
हनुमानगढ़ : आईजीएनपी में 28 मई तक सिंचाई के लिए किसानों को पानी नहीं मिल पाएगा। इससे जिले में नरमा का क्षेत्रफल काफी कम हो जाएगा। वर्तमान हालात को देखते हुए नरमा का क्षेत्रफल आधे से भी कम रहने की आशंका सामने आ रही है। कृषि विभाग के आंकड़े भी इसकी पुष्टि करते दिख रहे हैं।
जलसंसाधन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक इस साल पहाड़ी क्षेत्र में अप्रत्याशित रूप से कम तापमान के कारण समस्या खड़ी हो गई है। इस कारण बांधों में पानी की आवक बेहद कम है और सिंचाई के लिए पानी नहीं मिल पा रहा है। अब 28 मई को फिर से बीबीएमबी की बैठक होगी। इसमें नए सिरे से पानी की उपलब्धता पर विचार किया जाएगा। हालांकि उस समय तक इलाके में नरमा की बिजाई का समय निकल जाएगा।
मुख्य अभियंता केएल जाखड़ ने बताया कि बांधों में पानी की आवक कम होने के कारण प्रदेश को मांग के अनुरूप पानी नहीं मिल पाया है। अब 28 मई को फिर से बैठक होगी। आज मौसम विज्ञान विभाग के अधिकारी को भी बैठक में बुलाया गया था। उनसे भी फीडबैक लिया गया। उम्मीद है कि दो-तीन िदन में मौसम में बदलाव होगा। अभी तो चंडीगढ़ में भी तापमान 27 डिग्री के आसपास है। यही वजह है कि बांधों में पानी की आवक नहीं हो रही है।
पहली बार बैठक में बुलाए मौसम अधिकारी, समझा आखिर कब पिछलेगी बर्फ
संभवत: यह पहला मौका है कि बीबीएमबी की बैठक में मौसम विज्ञान विभाग के अधिकारियों को भी बुलाया गया। कम तापमान के कारण बांधों में पानी की कम आवक को देखते हुए विभाग के संयुक्त निदेशक से भी फीडबैक लिया गया। इसके अलावा मानसून की स्थिति पर भी चर्चा हुई। जानकारी के मुताबिक अगले दो दिन में पहाड़ी क्षेत्र में मौसम खुलने की उम्मीद है। इससे तापमान और बांधों में पानी की आवक बढ़ने की उम्मीद है। आगामी मानसून की क्षेत्रवार स्थिति का आंकलन भी एक-दो दिन में जारी होने की बात कही गई।
पहले आईजीएनपी में मिल रहा था 5000 क्यूसेक, इस बार 3950, 1000 क्यूसेक पानी कम हुआ
शुक्रवार को चंडीगढ़ में हुई बीबीएमबी की बैठक में प्रदेश को 7000 क्यूसेक आबंटित हुआ। इस तरह अब पहले के मुकाबले एक हजार क्यूसेक कम पानी मिलेगा। इसमें से 1600 क्यूसेक पानी गंगनहर, 1450 क्यूसेक भाखड़ा व 250 क्यूसेक पानी खारा सिस्टम में दिया जाएगा। इस तरह आईजीएनपी में 3950 क्यूसेक पानी ही मिल पाएगा। पहले आईजीएनपी में करीब 5000 क्यूसेक पानी दिया जा रहा था।
यह पड़ेगा असर; नरमा-कपास की बिजाई 20 से 25 मई तक मानी जाती है, वो नहीं हो पाएगी
इस साल जिले में नरमा-कपास का क्षेत्रफल एक तिहाई ही रह गया है। जानकारी के मुताबिक अभी तक बीटी कॉटन, अमेरिकन व देसी कपास की कुल बिजाई 58980 हेक्टेयर क्षेत्र में ही हुई है। क्षेत्र में नरमा बिजाई का समय 20-25 मई तक ही माना जाता है। पिछले साल 184609 हेक्टेयर क्षेत्र में नरमा-कपास की बिजाई हुई थी। इस तरह पिछले साल के मुकाबले एक तिहाई क्षेत्र में ही बिजाई हुई है। आईजीएनपी सिंचित क्षेत्र में तो बिजाई का रकबा 12120 हेक्टेयर ही है।
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