रोज 8 घंटे से कम सोने पर बच्चों की पढ़ाई पर असर पड़ता है; मार्क्समें 15 नंबर तक की कमी आ जाती है : रिसर्च
11-15 साल के बच्चों के लिए हफ्ते में 58
घंटे और राेज आठ घंटे से ज्यादा की नींद
जरूरी है। बच्चे पढ़ाई के दबाव में नींद से
समझौता कर रहे हैं। लेकिन कम नींद लेने
पर उनकी सेहत के साथ-साथ पढ़ाई पर ही
नकारात्मक असर पड़ रहा है। बच्चों में 83%
से 92% तक स्लीप लॉस (नींद में कमी) हो
रहा है। स्लीप लॉस बढ़ने की वजह से बच्चों
के एकेडमिक परफॉर्मेंस पर असर पड़ रहा है।
कम नींद लेने वाले बच्चों के गणित, विज्ञान
और अंग्रेजी में औसत मार्क्स में 15 नंबर
तक की कमी आती है। वहीं कम नींद लेने
की वजह से उनमें डिप्रेशन और मूड स्विंग
जैसी समस्याएं भी बढ़ रही हैं। ये सारे नतीजे
दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल के पल्मनरी
क्रिटिकल केयर एंड स्लीप मेडिसिन और
फिजियोलॉजी डिपार्टमेंट की ओर सेकिए गए
रिसर्च में सामने आए हैं।
हॉस्पिटल नेदिल्ली के 501 स्कूली बच्चों
पर ये शोध किया। इनमें 295 मेल स्टूडेंट्स
शामिल थे, जबकि 206 फीमेल स्टूडेंट्स थीं।
बच्चों को 2 ग्रुप में बांटा गया- प्री टीनेजर्स
(11-12 साल के बच्चे) और टीनेजर्स (13-
15 साल के बच्चे)। इन 501 बच्चों में प्री-
टीनेजर्स की संख्या 183, जबकि टीनेजर्स की
संख्या 318 थी। बच्चों से कुछ सवाल पूछे
गए। उनके जवाबों के आधार पर नतीजे तैयार
किए गए। रिसर्च टीम को लीड करने वाले डॉ.
जेसी सुरी ने बताया कि- ‘रिसर्च सेये ट्रेंड
निकला कि प्री टीनेजर्स की तुलना में टीनेजर्स
कम नींद लेते हैं। इसका असर उनके एवरेज
मार्क्स पर पड़ता है।’ नतीजा निकला कि-
34% प्री टीनेजर्स ही वीकडेज (सोमवार से
शुक्रवार के बीच) में नींद आने पर सो पाते हैं।
टीनेजर्स में ये आंकड़ा और भी घटकर 30%
पर आ जाता है। पढ़ाई के दबाव में 27%
प्री टीनेजर्स, जबकि 31% टीनेजर्स समय
पर नहीं सो पा रहे हैं। प्री टीनेजर्स औसतन
रात 9:25 बजे से 10:30 बजे के बीच सो
जाते हैं। जबकि टीनेजर्सऔसतन रात 10:23
बजे से 11:17 बजे के बीच सोने जा पाते हैं।
4% प्री-टीनेजर्स ने गैजेट्स को अपनी नींद
खराब होने का कारण माना। वहीं टीनेजर्स में
ये आंकड़ा बढ़कर 6% हो गया।
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