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सोने को साफ करते दो सिलेंडर फटे, 5 कारीगर झुलसे

पीलीबंगा : सोने-चांदीकीधुलाई करते समय कस्बे के सोनी मार्केट स्थित एक दुकान के ऊपर चौबारे में दो गैस सिलेंडर फटने से पांच लोग झुलस गए। सोमवार दोपहर हुए इस हादसे से मार्केट में मची अफरा-तफरी के दौरान एक अन्य व्यक्ति भी घायल हो गया। घायलों में से तीन के ज्यादा झुलस जाने चोटें आने से उन्हें कस्बे के सरकारी अस्पताल से प्राथमिक उपचार के बाद रेफर कर दिया गया। घायलों की स्थिति खतरे से बाहर है। आग पर करीब डेढ़ घंटे में काबू पा लिया गया। एक घंटे में हनुमानगढ़ से दमकल पहुंची वहीं निजी टैंकर की मदद से भी आग बुझाने के प्रयास किए गए। हालांकि आग से सारा सामान जल कर खाक हो गया। दुकान में धुलाई के लिए आया सोना पुलिस ने आग पर काबू पाने के बाद काफी हद तक घटनास्थल से बरामद कर लिया। पंडितांवाली के स्वर्णकार जगदीश सोनी ने बताया कि उसने सोमवार को ही 400 ग्राम सोने के आभूषण धुलाई के लिए यहां भिजवाए थे। मौके पर पहुंची पुलिस टीम ने पालिका उपाध्यक्ष अनिल सोनी ने भीड़ को हटाकर पूरी मार्केट से दुकानदारों को हटा दिया। 
पीलीबंगा को राज्य सरकार द्वारा वर्ष 1991 में उपलब्ध करवाई गई दमकल के खस्ताहाल हो जाने पर परिवहन विभाग, हनुमानगढ़ ने मंडी समिति को इसकी फिटनेस देने से इंकार कर दिया था। इसके बाद मंडी समिति प्रशासन द्वारा मई 2016 में हुई बोर्ड की बैठक में प्रस्ताव लेकर इसे नकारा घोषित कर दिया गया था। समिति सचिव सुरेंद्र खोथ ने 8 दिसंबर 2016 को इस दमकल को नकारा घोषित कर संचालन का ठेका भी निरस्त कर दिया। 
पीलीबंगा थाने के हैड कांस्टेबल दलीपसिंह ने बताया कि जब आग की सूचना मिली तो हम चार लोग एसआई बनवारी लाल, एएसआई पृथ्वी और हरबंश लाल मौक पर पहुंचे। दुकान के चौबारे से आग की लपटें निकल रही थी। हमने देखा की नीचे रोड पर अफरा-तफरी थी तभी बनवारीलाल और पृथ्वी सिंह ने भीड़ को हटाया। मैं और हरबंश लाल दाेनों सीढ़ियों से ऊपर गए। देखा तो आग की लपटों में फंसे आदमी चीख-पुकार रहे थे। हमने सबसे पहले उन्हें संभाला इतने में एक आदमी डर करने के कारण नीचे कूद गया जबकि बाकी लोग आग से झुलस गए थे। हम दोनों ने झुलसे हुए लोगों को 108 एंबुलेंस में पहुंचाया और अस्पताल भेजा। दीवार के पास चार और गैस से भरे सिलेंडर पड़े थे। हमने उन सिलेंडरों को वहां से उठवाया हालांकि मन में बच्चों का ख्याल आया अगर हमको कुछ हो गया तो उनका क्या होगा। लेकिन दूसरी तरफ मन में ये बात भी आई यदि ये सिलेंडर फटे तो बड़ा नुकसान हो जाएगा। हमने सिलेंडर हटना ही बेहतर समझा और चारों सिलेंडरों को वहां से हटाया। इतने में ही पता नहीं कहां से एक छोटा सिलेंडर फट गया और तेज ब्लास्ट हुआ। हमारे सामने ही छत की एक तरफ की दीवार ढह गई। ईंटें बिखर गई हमने भी बड़ी मशक्कत से जान बचाई और सिलेंडरों को नीचे ले आए। नहीं तो बड़ा हादसा पेश आता, जिसकी भरपाई शायद नहीं हो पाती। 
सिलेंडर फटने से आग इतनी भयंकर लगी कि दीवारें तक टूट गई। टूटी दीवारों से निकल रही थी आग की लपटें। 
हादसे में झुलसे लोगों को पीलीबंगा  अस्पताल ले जाया गया, जहां से उन्हें श्रीगंगानगर बीकानेर रेफर किया गया। आग लगने के दो घंटे से दमकल पहुंची। तब तक व्यापारियों ने निजी टैंकर बुलाया आग बुझाने का प्रयास किया। 

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