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स्कूलों से जुड़ी दो राहत भरी खबरें - मनचाही दुकान से किताबें यूनिफार्म खरीदने के लिए बाध्य नहीं कर सकेंगे स्कूल संचालक


हनुमानगढ़ : निजी स्कूल संचालक अब अभिभावकों को अपनी पसंदीदा दुकान से पुस्तकें और यूनिफार्म खरीदने के लिए बाध्य नहीं कर सकेंगे। सरकार ने निजी स्कूल संचालकों की मनमानी पर नकेल कसने के लिए गाइडलाइन जारी की है कि हर क्लास में इस्तेमाल होने वाली पुस्तकों और ड्रेस कोड संबंधी सारी जानकारी स्कूल को एक महीने पहले ही अपने स्कूल की नोटिस बोर्ड और स्कूल की वेबसाइट पर अपडेट करना होगा। इससे अभिभावकों को एक माह का पूरा समय मिल जाएगा और वह अपनी सुविधा अनुसार पुस्तकों और ड्रेस की खरीददारी कर सकेंगे। 
शिक्षा अधिकारियों ने बताया कि समय समय पर अभिभावकों की शिकायत मिलती रहती थी कि निजी स्कूल संचालक बच्चों को बाध्य करते थे कि वह उनके जानकारों की दुकान से ही पुस्तकें और ड्रेस खरीदें। इसलिए वह ऐसी पुस्तकें लगाते थे जो शहर की चुनिंदा दुकानों पर ही मिलती थी। लेकिन अब आगे ऐसा हो, इसलिए एक महीने पहले नोटिस की गाइडलाइन जारी की गई है। 
एडीईओ रणवीर शर्मा ने बताया कि सरकार के यह आदेश हर निजी स्कूल पर लागू होंगे। स्कूल चाहे राजस्थान बोर्ड से मान्यता प्राप्त हो या फिर सीबीएई या फिर आईसीएसई। सभी को सरकार के यह आदेश मानने होंगे। इसमें कक्षा 1 से 5, कक्षा 1 से 8, कक्षा 9 से 12 और कक्षा 1 से 12 तक के सभी निजी स्कूल शामिल होंगे। अगर फिर भी कोई इन आदेशों की अवहेलना करता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। 
पांच साल से पहले नहीं बदलेगी प्राईवेट स्कूल में ड्रेस
स्कूलों की किसी ड्रेस किसी भी हाल में पांच साल से पहले नहीं बदली जाएगी। इससे अभिभावकों को यह राहत मिलेगी कि एक बार ड्रेस खरीदने के बाद वह पांच साल तक ड्रेस खरीदने की झंझट से मुक्त हो जाएंगे। इसके साथ किसी भी सामग्री पर स्कूल या संस्था का नाम अंकित करके नहीं बेचा जाएगा। 

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