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कार में फॉग लाइट, प्रेशर हॉर्न तो देना होगा जुर्माना

नए सड़क सुरक्षा बिल के जरिए सरकार ऑटोमोबाइल क्षेत्र में बड़े बदलाव की तैयारी में है। इसके तहत ऑटो कंपनियों पर सुरक्षा मापदंडों के उल्लंघन के लिए 100 करोड़ रुपए का जुर्माना लग सकता है। वाहन में जरूरी सुरक्षा उपाय नहीं होने और डिजाइन में फॉल्ट होने पर उनके लिए रिकॉल अनिवार्य होगा। 
सड़क सुरक्षा और यातायात नियमों को सख्त करने के लिए केंद्र सरकार की ओर से गठित राज्य परिवहन मंत्रियों की समिति ने मानकों के उल्लंघन पर पेनल्टी संबंधी प्रस्ताव दिया हैं। नए बिल में यह प्रस्ताव भी हो सकता है कि यदि कोई व्यक्ति अनअथोराईज कंपोनेंट का इस्तेमाल करता है या अन्य मैन्युफैक्चरिंग और मेंटेनेंस से जुड़े मापदंडों का उल्लंघन करता है, जैसे फॉग लाइट, प्रेशर हॉर्न, एक्स्ट्रा लाइट्स, रूफ-टॉप कैरियर्स और मेटालिक प्रोटेक्टर्स आदि, तो उसे 5000 रुपए तक की पेनल्टी देनी पड़ेगी। इस तरह के उल्लंघन के लिए डीलर्स और व्हीकल बॉडी बिल्डर्स को प्रति वाहन एक लाख रुपए तक का जुर्माना देना पड़ेगा। वाहन के लिए नॉन अप्रूव्ड क्रिटिकल सेफ्टी कम्पोनेंट बेचने वाले डीलर्स को एक लाख रुपए तक जुर्माना चुकाना होगा। 
देश में सड़क सुरक्षा एक अहम मसला है। देशभर में सड़क दुर्घटना में हर साल औसतन करीब 1.5 लाख लोगों की जान चली जाती है। 
समिति के मुखिया राजस्थान के परिवहन मंत्री यूनुस खान हैं। समिति ने सुझाव दिया है कि ऑटोमोबाइल कंपनियों की ओर से नियम-कायदे नहीं मानने और तय समय में रिकॉल नहीं करने पर पेनल्टी 100 करोड़ से अधिक हो सकती है। व्हीकल्स के निर्माण और मेंटेनेंस के प्रावधान नहीं मानने पर मौजूदा नियमों के अनुसार पहली बार 1000 और उसके बाद 5000 रुपए की पेनल्टी का प्रावधान है। समिति की अंतिम सिफारिश इस महीने में पेश किए जाने की उम्‍मीद है। समिति में शामिल सदस्‍य यातायात नियमों को नहीं मानने पर जेल और पेनल्टी लगाने पर सहमत हैं। समिति ने अपनी सिफारिश में कहा है कि फर्जी लाइसेंस पर व्हीकल चलाने पर 10,000 रुपए की पेनल्टी लगाई जानी चाहिए। अभी 500 रुपए या अधिकतम तीन महीने की जेल का प्रावधान है। समिति की सिफारिशों के अनुसार, नाबालिग वाहन चालकों के मामले में उनके परिजनों को तीन साल की जेल और 20,000 रुपए तक की पेनल्टी देनी पड़ सकती है। नए बिल को संसद में पास कराने में विफल होने के बाद केंद्र सरकार ने यातायात नियमों को सख्त बनाने के लिए एक ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स (जीओएम) बनाया था। 

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