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निजी अस्पतालों पर होगी सख्ती

प्रदेश में गजट नोटिफिकेशन के बाद क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट (रजिस्ट्रेशन एंड रेग्यूलेशन) एक्ट 2010 इस माह लागू हो जाएगा। इसके तहत निजी अस्पतालों पर सरकार का नियंत्रण रहेगा। सभी तरह का रिकॉर्ड रखने के साथ पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा। राजस्थान में संचालित निजी अस्पतालों का प्रोविजनल (अस्थाई) पंजीकरण कराने की प्रक्रिया 15 अगस्त से होगी। सरकारी अस्पतालों के पंजीकरण की प्रक्रिया 31 जुलाई से प्रारंभ कर दी गई है। 

यह एक्ट लागू होने के बाद योग्य एवं प्रशिक्षित डॉक्टर ही प्रैक्टिस कर सकेगा। अस्पताल प्रशासन को प्रमुख स्थानों पर कॉटेज वार्ड, बैड, नर्सिंग, मेडिकल यूटीलिटी चार्ज, आईसीयू, डॉक्टर कसल्टेंट फीस, इमरजेंसी विजिट, सर्जरी का शुल्क, नियोनेटल व पीडियाट्रिक आईसीयू, डायग्नोस्टिक शुल्क एवं मरीजों को दी जाने वाली निशुल्क सुविधा का डिस्पले करना पड़ेगा। 

जन स्वास्थ्य निदेशक डॉ.बीआर मीणा ने बताया कि केन्द्र सरकार के निर्देशानुसार, क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट तहत प्रोविजनल रजिस्ट्रेशन करने के लिए प्रदेश के सभी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों को 15 अगस्त से पंजीकरण प्रक्रिया के लिए पत्र भेजा जा चुका है। एक्ट लागू करने के लिए सारी औपचारिकता पूरी कर ली गई हैं। गजट नोटिफिकेशन के लिए प्रेस में भेजा जा चुका है। संभवतया इसी माह नोटिफिकेशन होने के बाद राज्य में एक्ट लागू हो जाएगा। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी जयपुर द्वितीय डॉ.रवि प्रकाश शर्मा ने बताया कि विभाग से आदेश मिलने के बाद सरकारी व निजी अस्पतालों को पंजीकरण के लिए सूचना भेजी जा रही है। 

ये सूचना देनी होगी 

सीएमएचओ को भेजे जाने वाले पंजीकरण आवेदन में स्वामित्व (पब्लिक सेक्टर, केन्द्रीय सरकार, राज्य सरकार, स्थानीय शासन, पब्लिक सेक्टर उपक्रम), प्राइवेट सेक्टर (व्यक्तिगत स्वामित्व, रजिस्ट्रीकृत भागीदारी, सहकारी सोसायटी, न्यास), औषध की उपलब्ध पद्धतियां (एलोपैथी, आयुर्वेद, यूनानी, सिद्धा, योग और प्राकृतिक चिकित्सा), उपलब्ध कराई जाने वाली सेवाएं (बाह्य रोगी, अंतरंग रोगी, प्रयोगशाला, इमेजिंग केन्द्र), सेवा (सामान्य, एकल विशेषता, बहु विशेषता एवं सुपर स्पेशलिटीज), बेड की संख्या, लैब (हीमेटोलॉजी, बायोकेमिस्ट्री, पैथोलोजी, माइक्रोबायोलोजी, जेनेटिक्स, सेंपल कलेक्शन सेंटर), स्टाफ का नाम व योग्यता आदि। 

ये रिकॉर्ड रखना अनिवार्य होगा : आउटडोर व इनडोर मरीजों का रजिस्टर, रोजाना होने वाले ऑपरेशन, ऑपरेशन थिएटर, लेबर रूम, एमटीपी एक्ट के तहत पंजीकरण होने पर एमटीपी रजिस्टर, केसेज शीट, मेडिको लीगल केसेज (एमएलसी), लेबोरेट्री रजिस्टर, रेडियोलॉजी एंड इमेजिंग, डिस्चार्ज समरी, डुप्लीकेट मेडिकल सर्टिफिकेट, शिकायत रजिस्टर, बर्थ एवं डेथ रजिस्टर, टोटल डिस्चार्ज, जनरल तथा विशेष सर्जरी, जनरल तथा स्पेशल केयर बैड की संख्या, राज्य सरकार की ओर से चलाए जा रहे विभिन्न कार्यक्रमों की प्रगति का रिकार्ड जेएसवाई, आशा, वेक्टर बोर्न डिजीज, परिवार कल्याण, टीकाकरण, चाइल्ड हैल्थ, मेटरनल हैल्थ, एनएलईपी, आरएनटीसीपी, आईडीएसपी आदि। 

यह होगा फायदा 

 झोला छाप डॉक्टरों पर लगेगी रोक 
 योग्य एवं प्रशिक्षित डॉक्टर ही कर सकेंगे प्रैक्टिस 
 सरकार के पास निजी अस्पतालों की पूरी सूचना होगी 
 हर तरह की बीमारी का रिकॉर्ड रखना जरूरी 
 निजी अस्पताल मनमानी फीस वसूल नहीं कर सकेंगे 

इन राज्यों में एक्ट लागू : 1 मार्च 2012 को अरुणाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, मिजोरम एवं सिक्किम में यह एक्ट लागू हो चुका है। जबकि बिहार, यूपी एवं झारखंड में एक्ट का अधिग्रहण किया जा रहा है। 

पंजीकरण के लिए आवेदन: सरकारी व निजी अस्पताल, पॉली क्लिनिक, फीजियोथैरेपी क्लीनिक, बांझपन क्लीनिक, दंत क्लीनिक, डे केयर सेंटर, प्रसूति गृह, डायलिसिस केन्द्र, आयुर्वेदिक, यूनानी, होम्योपैथिक चिकित्सालय आदि को संबंधित जिला के मुख्य एवं चिकित्सा अधिकारी को निर्धारित प्रपत्र में संपूर्ण जानकारी देकर आवेदन करना होगा। पंजीकृत अधिकारी संबंधित जिलों के सीएमएचओ होंगे। 

क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट 2010 इसी माह लागू हो जाएगा, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने भेजा गजट नोटिफिकेशन के लिए, निजी अस्पतालों का प्रोविजनल पंजीकरण कराने की प्रक्रिया 15 से

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