Header Ads

test

लिंग परीक्षण व भ्रूण हत्या - मिलीभगत का खेल

कन्या भ्रूण हत्या व लिंग परीक्षण पर लगाम की मंशा से प्रशासन व चिकित्सा विभाग ने अल्ट्रासाउंड केन्द्रों की जांच की मुहिम शुरू कर रखी है। दो दिन में जिले के डेढ़ दर्जन से अघिक सोनोग्राफी केन्द्रों कर कई तरह की कमियां पकड़ी गई लेकिन लिंग परीक्षण व भ्रूण हत्या रोकने के लिए कोई पुख्ता प्रबंध नहीं है। जांच अघिकारी भी दबी जुबान में यह बात स्वीकारते हैं। उनके अनुसार स्टिंग ऑपरेशन या मुखबिर की सूचना के माध्यम से ही लिंग परीक्षण करने वालों को पकड़ा जा सकता है।

जिले में बाल लिंगानुपात खतरनाक स्थिति तक पहुंच गया। इसमें लिंग परीक्षण व भ्रूण हत्या मुख्य कारण है। इससे इनकार नहीं किया जा सकता लेकिन लिंग परीक्षण करने वाले सोनोग्राफी सेंटर संचालकों को पकड़ना आसान नहीं।

केन्द्र संचालकों का तर्क है कि उनका रिकॉर्ड तो लगभग पूरा है जो कमियां मिली वे मानवीय त्रुटि हैं। जांच में जो कमियां मिली वे छोटी कही जा सकती हैं पर उनकी गंभीरता कम नहीं आंकी जा सकती। अब जब्त रिकॉर्ड की जांच होगी। इसके आधार पर ही सेंटर संचालकों के खिलाफ कोई कार्रवाई होगी।

मिलीभगत का खेल
जानकारों के अनुसार लिंग परीक्षण करने व कराने वालों को पकड़ना आसान नहीं। चिकित्सक लिंग परीक्षण के संबंध में लिखित में कुछ नहीं देता। वह मौखिक रूप से ही बच्चे का लिंग बताता है। यह सब मिलीभगत से ही संभव है। स्टिंग ऑपरेशन जैसी किसी कार्रवाई के बिना पकड़ना मुश्किल है। पकड़े जाने पर तीन से पांच साल की सजा व जुर्माने का प्रावधान है।

नियमित जांच से लाभ
सोनोग्राफी केन्द्रों की नियमित जांच होने से ही लिंग परीक्षण पर प्रभावी रोक संभव है। क्योंकि केन्द्र संचालकों में हर समय जांच का भय रहेगा। 

एक नजर: पीसीपीएनडीटी प्रावधान व उद्देश्य

प्रावधान :

1. फार्म भरा जाना अति आवश्यक।
2. किसने, कहां से रैफर किया।
3. पूरा रिकॉर्ड रखा जाए।
4. हिन्दी व अंग्रेजी में लिखा होना चाहिए कि, 'यहां लिंग परीक्षण नहीं होता।'
5. सोनोग्राफी करने वाले चिकित्सक को एप्रिन पहननी जरूरी व नेमप्लेट भी होनी चाहिए।
6. सोनोग्राफी कक्ष में ऎसे कोई चिह्न नहीं हों जिससे बच्चे के लिंग का संकेत मिलता हो।
 
उद्देश्य:

1. इससे गड़बड़ी की आशंका नहीं रहती बशर्ते कि रोगी के बारे में सम्पूर्ण जानकारी फार्म में रहे।
2. इससे यह पता लग जाता है कि रोगी का इलाज किस चिकित्सक के पास चल रहा है। सोनोग्राफी के बाद क्या हुआ। इसकी जानकारी मिल सके।
3. कभी भी उसकी जांच की जा सके।
4. हर रोगी केन्द्र पर आकर लिंग परीक्षण के संबंध में बात ही न कर सके।
5. इससे रोगी को यह पता रहता है कि उसकी सोनोग्राफी किस चिकित्सक ने की।
6. ताकि मरीज में बच्चे के बारे में जानने की उत्सुकता ना जगे।

कमियों का क्या होता है असर
कमियां : 

1. जांच करवाने वालों के पूरे पते नहीं मिले। फार्म एफ भरे हुए मिले मगर उन पर चिकित्सक के हस्ताक्षर नहीं थे।
2. सोनोग्राफी रजिस्टर में कई मरीजों के पते की जगह केवल मोबाइल नंबर लिखे थे।
प्रभाव:

1. अधूरे पते व एफ फार्म बाद में भरे जाने से गड़बड़झाले की आशंका रहती है।
2. इससे पता नहीं चलता कि कौन सा रोगी कहां से सोनोग्राफी के लिए आया तथा उसका क्या हुआ।

No comments