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अध्यापकों व स्टाफ की लेटलतीफी की ऑनलाइन निगरानी

पीलीबंगा  | अब स्कूलों में अध्यापकों व स्टाफ की लेटलतीफी की ऑनलाइन निगरानी होगी। सैकड़ों किमी दूर से ही अधिकारी संबंधित स्कूलों में मास्टरजी पर नजर रख सकेंगे। राज्य प्रारंभिक शिक्षा परिषद से संबद्ध 839 माध्यमिक तथा उमा विद्यालयों को भी जीपीएस सिस्टम से जोडऩे की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इनमें से 288 स्कूल सरकारी तथा बाकी निजी हैं। 20 फरवरी को सर्वे संबंधी अंतिम रिपोर्ट परिषद मुख्यालय को भिजवाई जाएगी। रमसा प्रभारी शिवरतन कुमार ने बताया कि डाटा फीडिंग का कार्य शुरू कर दिया गया है। स्कूलों का ज्योग्राफिकल इंफॉरमेशन सिस्टम (जीआईएस) द्वारा भौगोलिक सर्वे का कार्य किया जा रहा है। जिसमें स्कूलों की लोकेशन के लिए अक्षांश एवं देशांतर के आंकड़े दर्शाए जाएंगे। चयनित टीम स्कूलों में जाकर जीपीएस ग्लोबल पोजिशन सिस्टम मशीन लगाएगी। इसके अलावा एक स्कूल से दूसरे स्कूल की दूरी भी मशीन में दर्शाई जाएगी। रमसा प्रभारी ने बताया कि जीआईएस सिस्टम से जोडऩे के बाद स्कूलों को जीपीएस सिस्टम से जोड़ा जाएगा। जिसका कनेक्शन सेटेलाइट से होगा। इस सिस्टम के लगने के बाद उच्चाधिकारी जयपुर तथा दिल्ली बैठे ही स्कूलों की दूरी तथा उसमें संचालित सभी गतिविधियों की निगरानी कर सकेंगे। इसके लिए उन्हें जीपीएस सिस्टम का कोड नंबर डालना होगा। डाइस तथा सेमिस कोड नंबर डालते ही संबंधित स्कूलों की लोकेशन उच्चाधिकारियों की कंप्यूटर स्क्रीन पर आ जाएगी। इससे यह भी पता चल जाएगा कि स्कूल में कितने बच्चों का नामांकन है और कितने विद्यालय आ रहे हैं। संबंधित कक्षा अध्यापक समय पर क्लास ले रहें है या नहीं इसकी जानकारी भी अधिकारी जीपीएस सिस्टम के जरिए ले सकेंगे। 
हर तीस सेकेंड बाद कैद होगी तस्वीर : जीपीएस सिस्टम के बारे में रमसा प्रभारी ने बताया कि ज्योग्राफिकल इंफॉरमेशन सिस्टम (जीआईएस) सर्वे के बाद इन्हें जीपीएस सिस्टम से जोड़ा जाएगा। जो सेटेलाइट से जुड़ा रहेगा। इसमें लगे 24 उपग्रह पृथ्वी की परिक्रमा करते हुए हर तीस सेकेंड बाद तस्वीर कैद करेंगे। अक्षांश तथा देशांतर रेखा के आधार पर तस्वीरों को कंप्यूटर स्क्रीन पर आसानी से देखा जा सकेगा। जीपीएस सिस्टम में संबंधित स्कूल का कोड डालते ही सारी स्थिति कंप्यूटर स्क्रीन पर नजर आने लगेगी। 

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