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करोड़ों का बज गया बाजा

हनुमानगढ़। करोड़ों रूपए खर्च हो गए लेकिन रेडियो के जरिए स्कूली बच्चों को अंग्रेजी सिखाने के प्रयास सार्थक नहीं हुए। प्रारंभिक शिक्षा परिषद के रेडियो से अंग्रेजी सिखाने के कार्यक्रम 'संवाद' की खस्ता हालत सरकारी योजनाओं के हश्र का प्रमाण है।

करोड़ों रूपए खर्च करने के बावजूद नौनिहाल  रेडियो पर 'पुट्स योर हैंड, ओपन योर आइज' सरीखे जुमले सुनकर अंग्रेजी में पारंगत होने से वंचित हैं। यद्यपि 'संवाद कार्यक्रम' ने ठंडे पड़े रेडियो उद्योग में जरूर गर्मी ला दी। स्थिति यह है कि प्रदेश की प्रारंभिक शिक्षा के विद्यालयों में सवा छह करोड़ रूपए से अघिक के रेडियो धूल फांक रहे हैं।

कवायद का लाभ नहीं 
प्रारंभिक शिक्षा परिषद ने सर्व शिक्षा अभियान के माध्यम से शिक्षा सत्र 2009-10 में संवाद कार्यक्रम के तहत पांचवीं कक्षा तक के बच्चों को रेडियो से अंग्रेजी सिखाने की कवायद प्रारंभ की थी। इसके लिए सभी प्राथमिक विद्यालय को विकास कोष से रेडियो खरीदने का निर्देश दिया गया। शिक्षकों को संदर्भ केन्द्र पर संवाद कार्यक्रम के संबंध में दो दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया लेकिन इसके प्रति अध्यापकों की रूचि नहीं होने से योजना सफल नहीं हो पाई। इसलिए कई बार शिविर लगाकर शिक्षकों को प्रशिक्षण देना पड़ा।

सब गया बेकार
प्रारंभिक शिक्षा परिषद के निर्देशानुसार संवाद कार्यक्रम के लिए प्रदेश में 6 करोड़ 40 लाख रूपए केे लगभग 80 हजार  रेडियो खरीदे गए। एसएसए के तहत सभी प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों ने विद्यालय विकास कोष से करीब आठ सौ रूपए तक के रेडियो खरीदे। हनुमानगढ़ में ही लगभग 1100 रेडियो खरीदे गए।

प्रारंभ में ही लड़खड़ाया 
संवाद कार्यक्रम का प्रसारण आकाशवाणी के सूरतगढ़ केन्द्र से दोपहर साढ़े बारह से एक बजे होता था लेकिन संबंघित शिक्षक के छुट्टी पर होने, चुनाव ड्यूटी, जनगणना, समानीकरण, एकीकरण, सीटीएस व स्थानांतरण के चलते कार्यक्रम प्रारंभ से ही गति नहीं पकड़ पाया। हैरत है कि अगस्त से अक्टूबर के मध्य तो कार्यक्रम का प्रसारण ही विद्यालय समय के बाद होता था।

कार्रवाई के लिए लिखेंगे
बीईईओ को संवाद कार्यक्रम के सुचारू संचालन के लिए नियमित निरीक्षण के लिए कहा है। कार्यक्रम के प्रति उदासीनता बरतने वालों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के लिए लिखा जाएगा।  
गुट्टीराम चौधरी एपीसी व प्रभारी संवाद कार्यक्रम

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