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श्रद्धालुओं के स्वास्थ्य पर शराब का राजस्व भारी

नोहर। उत्तर भारत के प्रसिद्ध गोगामेड़ी मेले में श्रद्धालुओं के स्वास्थ्य व जिंदगी पर शराब से प्राप्त राजस्व भारी पड़ रहा है। एक माह की अवघि के मेलेे में शराब की ब्रिकी पर अंकुश की सभी प्रशासनिक कोशिशें आबकारी विभाग के आगे बौनी साबित हुईं हैं। इस बारे में चोपड़ा आयोग की सिफारिशों को भी ताक पर रख दिया गया है।

करीब तीन साल पहले तत्कालीन कलक्टर टी. रविकांत व पुलिस अधीक्षक विनीता ठाकुर के सामूहिक प्रयास धरे रह गए। इसके बाद किसी पुलिस व प्रशासनिक अघिकारी की इस काम में इच्छाशक्ति नहीं रही।

कभी मेले में शराब की एक दुकान होती थी जिनकी ंसंख्या बढ़ते-बढ़ते पांच तक पहुंच गई है। पांचों दुकाने लाइसेंसशुदा हैं और शराब की चौबीस घंटे बिक्री होती है।

धरे रह गए आयोग के सुझाव
मेला व्यवस्था समिति बैठक में गोगामेड़ी मेले की व्यवस्था के लिए जोधपुर मंदिर दुखाान्तिका जांच आयोग की 19 पेज की रिपोर्ट पर चर्चा तक नहीं हुई और आयोग की सिफारिशें व सुझाव धरे रह गए। आयोग अध्यक्ष न्यायमूर्ति जसराज चोपड़ा सोलह सदस्यों की टीम के साथ 26 अगस्त, 09 को गोगामेड़ी पहुंचे और व्यवस्थाओं का बारीकी से निरीक्षण कर राज्य सरकार को रिपोर्ट सौंपी।

यह हैं हालात
समिति ने राज्य के सभी तीर्थ मेला स्थलों का निरीक्षण कर खामियां सरकार के समक्ष रखीं और सुझाव दिए। गोगामेड़ी मेले के संबंध में आयोग की रिपोर्ट के अनुसार आबकारी विभाग की मेले में पांच शराब की बिक्री की दुकानें ठेके पर दी हुई हैं। मेले में लोग शराब पीकर आते हैं। करीब सौ व्यक्ति रोज शराब पीकर हुड़दंग, मारपीट व शांति भंग करते हैं। इसमें मेले का वातावरण दूषित रहता है तथा कानून एवं व्यवस्था बिगड़ती है।

नुक्सान का हवाला
चोपड़ा आयोग की रिपोर्ट के अनुसार आबकारी विभाग को मेला अवघि में दुकानों को बंद करने के लिए कहा जाता है तो वह 75 लाख रूपए के राजस्व नुकसान का हवाला देकर दुकानें बंद कराने की बात ही सुनना नहीं चाहता। आयोग ने रिपोर्ट में कहा कि मेले में लाखों लोग आते हैं। इसलिए मेला अवघि में शराब की दुकानें बंद करवाई जाएं ताकि कानून व्यवस्था सुचारू रह सके। शराब की दुकानें खोलनी ही हंै या लगानी है तो वे रेडियस से पांच किलोमीटर बाहर लगवाई जाएं। मेले के पांच किलोमीटर क्षेत्र में शराब की बिक्री बंद करवाई जाए।

मांग अनसुनी
क्षेत्र के ग्रामीण प्रतिनिध व स्वयंसेवी संगठन वर्षो से शराब की दुकानें मेला स्थल से बाहर स्थानांतरित करने की मांग करते रहे हैं। इस बार भी जिला कलक्टर भानुप्रकाश की अध्यक्षता में गोगामेड़ी में मेला व्यवस्था संबंधी बैठक में यह मांग उठी तथा ज्ञापन दिए गए लेकिन जिला आबकारी अघिकारी अरूण शर्मा की ओर से करीब एक करोड़ रूपए के राजस्व के तर्क के आगे छोटे-बडे सभी अघिकारी चुप हो गए।

शराब से मौतें
नागरिकों के अनुसार प्रति वर्ष मेला में शराब पीने से बीस से तीस व्यक्ति परोक्ष या अपरोक्ष तौर पर मर जाते हंै। कई शव श्रद्धालुओं के परिजन अपने साथ ले जाते हैं तो कइयों का संस्कार सोसायटी करवाती है। सोसायटी के सक्रिय सदस्य रमेश पेशकार ने बताया कि गत वर्ष मेले में शराब से बेसुध कई व्यक्तियों नेे भीषण गर्मी में पानी नहीं मिलने से दम तोड़ दिया।

आंदोलन की चेतावनी
भारतीय किसान संघ अध्यक्ष हरीसिंह खीचड़ तो लम्बे समय से मेले में शराब बिक्री का विरोध करते आ रहे हैं। जिला परिषद सदस्य राजेन्द्र सिहाग ने तो आंदोलन की चेतावनी दे रखी है। ये प्रतिनिघि शाम के आठ बजे बाद शराब की बिक्री पर रोक लगाने की मांग भी करते हैं।

इनका कहना है
मेले में आठ बजे बाद शराब बिक्री रोकना मुश्किल है। क्योंकि यह राजस्व का मामला है। मेले में आठ बजे बाद तो शराब की अघिक बिक्री होती है। हम तो निर्देशानुसार आठ बजे बाद शराब ठेकों पर अघिक सुरक्षाबल मुहैया कराते हैं। पुलिस को भी यही करना पड़ता है।
-सुदर्शन कुमार, आबकारी थानाप्रभारी।

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