कालीबंगा से मिलती-जुलती सभ्यता के निशान
गांव कमाना के पास चक 17 एसटीजी के थेहड़ के उत्खनन के दौरान मिल रही पुरा सामग्री से इस जगह पर पांच हजार साल पुरानी सभ्यता का अस्तित्व होने के आसार नजर आने लगे हैं। इस पुरातन सभ्यता को हड़प्पाकालीन सभ्यता से भी पूर्व का बताया जा रहा है। यद्यपि अभी खुदाई कार्य चल रहा है। ऎसे में ईसा से दो हजार वर्ष पुरानी सभ्यता के कुछ और निशान मिलने की संभावना है।
उत्खनन दल ने रविवार को पहले खुदाई स्थल पर कार्य रोक कर नए स्थान पर खुदाई प्रारंभ की। खुदाई कार्य के प्रति सरकारी उदासीनता से क्षेत्र के शिक्षाविदों एवं नागरिकों में निराशा है। वे आर्कोलॉजी विभाग खोलकर क्षेत्र में बड़े स्तर पर उत्खनन करवाने के पक्षधर हैं।
प्राचीन नगर के अवशेष
उत्खनन दल के सदस्य व केçम्ब्ा्रज विश्वविद्यालय इंग्लैण्ड के आर्कोलॉजी विभाग के सदस्य डॉ. चार्ली एफ्रेंच ने रविवार को 'पत्रिका' से विशेष बातचीत में कहा कि अब तक उत्खनन क्षेत्र से मिले अवशेषों के आधार पर ऎसा लग रहा है कि यहां कालीबंगा से मिलती-जुलती सभ्यता रही होगी। अभी पुरा सामग्री मिलने का सिलसिला जारी है। कुछ और नए स्थानों पर भी खुदाई की जाएगी।
हजारों साल पहले यहां नदी बहती थी। क्योंकि अन्य सभ्यताओं की तरह यह भी नदी किनारे ही बसी होगी। आज भी यही स्थिति है। नदी के आसपास के क्षेत्रों में जनसंख्या घनत्व अपेक्षाकृत अघिक है। डॉ. चार्ली ने कहा कि इस क्षेत्र की जमीन के सीने में सभ्यताओं के कई राज दबे हैं जो शोध के बाद सामने आ सकेंगे। प्राचीन नगर के पुख्ता अवशेष मिलने की उम्मीद की जा सकती है। दल के विशेष सहयोगी व बनारस विश्वविद्यालय के अरूण पांडेय ने बताया कि उत्खनन के दूसरे स्थान पर मिली पुरा सामग्री से दल का उत्साह बढ़ा है।
मिट्टी के बर्तन के टुकड़ों, हçaयां आदि मिलने से यहां प्राचीन सभ्यता होने की संभावना मजबूत हुई है। इस क्षेत्र में प्राचीनकाल में भी भरपूर फसलें होती होंगी। ऎसे संकेत मिल रहे हैं कि यह आज से भी अघिक उपजाऊ क्षेत्र रहा होगा। यद्यपि यह जांच का विषय है। पूरी स्थिति शोध के बाद ही साफ हो सकेगी।
सरकार गंभीरता दिखाए
इस स्थान पर हड़प्पाकालीन सभ्यता से भी पूर्व के अवशेष मिलेंगे। इससे क्षेत्र का नाम अंतरराष्ट्रीय नक्शे पर उभरेगा। इस क्षेत्र में उत्खनन एवं शोध कार्य पर सरकार भी गंभीरता दिखाए।
- आत्माराम अग्रवाल, व्याख्याता एवं सदस्य इतिहास संकलन संगठन।
राज्य सरकार आर्कोलॉजी विभाग खोलकर क्षेत्र में थेहड़ों की खुदाई करवाए। जिले भर में कई थेहड़ हैं।
-लीलाधर, व्याख्याता।
हजारों साल पुरानी सभ्यता व उसके कई अनछुए पहलू जमीन में दफन हैं। सरकार को थेहड़ों के उत्खनन व शोध की कार्ययोजना तैयार करनी चाहिए।
-तरूण कुमार, व्याख्याता।
source : patrika
उत्खनन दल ने रविवार को पहले खुदाई स्थल पर कार्य रोक कर नए स्थान पर खुदाई प्रारंभ की। खुदाई कार्य के प्रति सरकारी उदासीनता से क्षेत्र के शिक्षाविदों एवं नागरिकों में निराशा है। वे आर्कोलॉजी विभाग खोलकर क्षेत्र में बड़े स्तर पर उत्खनन करवाने के पक्षधर हैं।
प्राचीन नगर के अवशेष
उत्खनन दल के सदस्य व केçम्ब्ा्रज विश्वविद्यालय इंग्लैण्ड के आर्कोलॉजी विभाग के सदस्य डॉ. चार्ली एफ्रेंच ने रविवार को 'पत्रिका' से विशेष बातचीत में कहा कि अब तक उत्खनन क्षेत्र से मिले अवशेषों के आधार पर ऎसा लग रहा है कि यहां कालीबंगा से मिलती-जुलती सभ्यता रही होगी। अभी पुरा सामग्री मिलने का सिलसिला जारी है। कुछ और नए स्थानों पर भी खुदाई की जाएगी।
हजारों साल पहले यहां नदी बहती थी। क्योंकि अन्य सभ्यताओं की तरह यह भी नदी किनारे ही बसी होगी। आज भी यही स्थिति है। नदी के आसपास के क्षेत्रों में जनसंख्या घनत्व अपेक्षाकृत अघिक है। डॉ. चार्ली ने कहा कि इस क्षेत्र की जमीन के सीने में सभ्यताओं के कई राज दबे हैं जो शोध के बाद सामने आ सकेंगे। प्राचीन नगर के पुख्ता अवशेष मिलने की उम्मीद की जा सकती है। दल के विशेष सहयोगी व बनारस विश्वविद्यालय के अरूण पांडेय ने बताया कि उत्खनन के दूसरे स्थान पर मिली पुरा सामग्री से दल का उत्साह बढ़ा है।
मिट्टी के बर्तन के टुकड़ों, हçaयां आदि मिलने से यहां प्राचीन सभ्यता होने की संभावना मजबूत हुई है। इस क्षेत्र में प्राचीनकाल में भी भरपूर फसलें होती होंगी। ऎसे संकेत मिल रहे हैं कि यह आज से भी अघिक उपजाऊ क्षेत्र रहा होगा। यद्यपि यह जांच का विषय है। पूरी स्थिति शोध के बाद ही साफ हो सकेगी।
सरकार गंभीरता दिखाए
इस स्थान पर हड़प्पाकालीन सभ्यता से भी पूर्व के अवशेष मिलेंगे। इससे क्षेत्र का नाम अंतरराष्ट्रीय नक्शे पर उभरेगा। इस क्षेत्र में उत्खनन एवं शोध कार्य पर सरकार भी गंभीरता दिखाए।
- आत्माराम अग्रवाल, व्याख्याता एवं सदस्य इतिहास संकलन संगठन।
राज्य सरकार आर्कोलॉजी विभाग खोलकर क्षेत्र में थेहड़ों की खुदाई करवाए। जिले भर में कई थेहड़ हैं।
-लीलाधर, व्याख्याता।
हजारों साल पुरानी सभ्यता व उसके कई अनछुए पहलू जमीन में दफन हैं। सरकार को थेहड़ों के उत्खनन व शोध की कार्ययोजना तैयार करनी चाहिए।
-तरूण कुमार, व्याख्याता।
source : patrika
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