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मदर्स डे: कोरोना वॉरियर्स माओं की ये 5 कहानियां

1- बेटी से मिलने नहीं जा रहीं डॉक्टर स्मिता सेगु

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बेंगलुरु के सरकार द्वारा चलाए जा रहे विक्टोरिया अस्पताल में टास्कफोर्स की प्रमुख और कोविड-19 की नोडल ऑफिसर स्मिता बताती हैं कि कैसे वह कोरोना से लड़ने के शहर में रुकीं और बेटी के पास नहीं जा पाईं। वह बताती हैं कि उनकी बेटी अमेरिका के इलिनॉय में पढ़ रही है और 16 मई को उन्हें अपनी बेटी के पास जाना था, लेकिन कोरोना की वजह से उन्हें यहीं रुकना पड़ा है। वह सुनामी और नेपाल के भूकंप के दौरान मेडिकल कैंप लगाकर लोगों की मदद कर चुकी हैं, लेकिन वह कहती हैं कि कोरोना में हालात बिल्कुल अलग हैं, क्योंकि ये जानलेवा वायरस है।

2- पांच साल की बेटी को समय नहीं दे पातीं एसीपी तनु शर्मा

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तनु शर्मा दिल्ली पुलिस में मायापुरी की एसीपी हैं। उनकी 5 साल की एक बेटी है, जो ये सब समझने के लिए बहुत छोटी है कि दुनिया में क्या हो रहा है। वह बताती हैं कि उन्होंने अपनी बेटी को एक पेंटिंग बनाकर ये समझाने की कोशिश की कि क्यों उसे अपनी मां से मिलने के लिए दौड़ना नहीं चाहिए। रोज 14-17 घंटे काम करने की वजह से वह अपनी बेटी को वक्त नहीं दे पाती हैं। एक दिन ऑनलाइन क्लास के दौरान टीचर ने उनकी बेटी से पूछा कि वह उदास क्यों है तो बेटी बोली क्योंकि सबकी मां उनके साथ हैं और उसकी मां घर में भी नहीं हैं। ऐसे में टीचर ने कहा कि उसकी मां कोरोना वॉरियर हैं, जो कोरोना से लड़ रही हैं। अब वो 5 साल की छोटी बच्ची हमेशा इसलिए खुश रहती है, क्योंकि उसकी मां एक कोरोना वॉरियर हैं।

3- नर्स दिव्या का डर, कहीं बेटा भूल ना जाए मुझे

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गुरुग्राम के फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट में दिव्या एस नायर इंफेक्शन कंट्रोल नर्स हैं। वह कहती हैं कि उनका एक 5 साल का बेटा है और एक 10 महीने का बेटा है। बड़ा बेटा तो जब भी वीडियो कॉल पर बात करता है, यही जिद करता है कि उसकी मां घर लौट आएं, लेकिन छोटे बेटे को तो पता भी नहीं कि ये सब क्या चल रहा है। दिव्या कहती हैं कि मुझे डर इस बात का है कि कहीं मेरा 10 साल का बच्चा मुझे भूल ही ना जाए और लौटूं तो पहचाने ना। वैसे भी बिना मां के वह 2 महीने से रह रहा है। दोनों बच्चे अपनी नानी के पास हैं और दिव्या कोरोना से जंग लड़ने में लगी हुई हैं।

4- 23 मार्च से नहीं मिलीं मां-बेटी

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गुजरात के खम्भात में डीवायएसपी भारती पांड्या कहती हैं कि वह 23 मार्च के बाद से अब तक अपनी 12 साल की बेटी से नहीं मिल सकी हैं। यानी जब से लॉकडाउन शुरू हुआ है, तब से वह सिर्फ ड्यूटी कर रही हैं। वह वीडियो कॉल के जरिए ही एक दूसरे से बात कर पाते हैं। वह कहती हैं कि अपनी बेटी से दूर रहने से वह थोड़ी परेशान जरूर हैं, लेकिन उनकी बेटी उनकी हिम्मत बढ़ाने का काम करती है। वह कहती है- 'मम्मी, ड्यूटी अच्छे से करो, केस बढ़ना नहीं चाहिए।'

5- बच्चे चाहते हैं ये कहानी खत्म हो, पहले सुपरमैन मानते थे

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केरल के वायनडा की कलेक्टर आदिला अब्दुला के 3 छोटे बच्चे हैं, जो सात साल से कम उम्र के हैं। सबसे छोटा डेढ़ साल का है। वह कहती हैं कि बच्चों को पहले लगता था उनकी मां किसी सुपरमैन या बैटमैन की तरह कोरोना से लड़ रही है, लेकिन अब वह चाहते हैं ये कहानी जल्द से जल्द खत्म हो। वह मॉल या खेलने-कूदने जाने की जिद नहीं करते, बल्कि चाहते हैं कि कोरोना खत्म हो और वह अधिक से अधिक समय अपनी मां के साथ बिता सकें।


Source : - नवभारतटाइम्स.कॉम

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