Header Ads

test

बच्चों में जन्म से बढ़ रहा हृदय रोग; 3 साल में 214 चिन्हित हुए चौंकाने वाला तथ्य ये कि 7 माह का बच्चा भी इसकी चपेट में


दिल की बीमारी दिनों-दिनों खतरनाक होती जा रही है। हैरानी की बात ये है कि बड़े ही नहीं बल्कि इस बीमारी की चपेट में 'छोटे दिल' भी आ रहे हैं। यानी छोटे बच्चों में इस बीमारी की संख्या बढ़ रही है। खास बात ये है कि बच्चों में जन्मजात यह बीमारियां सामने आ रही हैं। दरअसल, पहले दिल की बीमारी सिर्फ ज्यादा उम्र वाले लोगों में देखने को मिलती थी लेकिन अब यह गर्भ में पल रहे बच्चे में ही आ रही है। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य कार्यालय से मिले आंकड़े भी चौंकाने वाले हैं। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत प्राप्त हुए आंकड़ों के अनुसार जिले में पिछले 3 साल में अब तक 214 बच्चे दिल की विभिन्न बीमारियों से ग्रस्ति पाए गए हैं। इनमें से 104 बच्चों का इलाज हो चुका है, जिनके दिल में छेद था या फिर दिल की किसी अन्य बीमारी से पीड़ित थे। विडंबना की बात तो ये है कि इन आंकड़ों में 7 महीने का बच्चा भी हृदय रोग से पीड़ित था। इस प्रोग्राम के तहत 18 वर्ष तक के बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण सभी सरकारी स्कूलों एवं आंगनबाड़ी केंद्रों पर मोबाइल हेल्थ टीम ने किया। जिले के 7 ब्लॉक्स में 14 मोबाइल हेल्थ टीमें काम कर रही है। हालांकि इस योजना के तहत जिले की बात करें तो अब तक 4 लाख 9 हजार 221 बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया है, जिसमें से 214 बच्चे हृदय की बीमारी से ग्रस्ति पाए गए हैं। जो बेहद चिंता का विषय है। बच्चों में दिल की बीमारी बढ़ने के कारणों को लेकर भास्कर ने पड़ताल की तो इसके कई कारण सामने आए। पेश है रिपोर्ट- 
आरबीएसके योजना का आंकड़ा, करीब 5 लाख का स्वास्थ्य जांचा, 17 हजार का किया जा चुका है उपचार 
आरबीएसके योजना के तहत जिले में 2292 संस्थानों में 4 लाख 9 हजार 221 बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण किया जा चुका है। इनमें से 17 हजार 578 बच्चों का उपचार जिले के सरकारी संस्थानों पर किया गया वहीं 18 हजार 878 बच्चों को इलाज के लिए जिले से बाहर रेफर किया गया। अभी तक 12301 बच्चों का उपचार किया जा चुका है। वहीं 158 बच्चों का इलाज जयपुर, बीकानेर आदि शहरों में उच्च संस्थानों पर किया गया। जिनमें 104 बच्चे जन्मजात हृदयरोग से पीड़ित थे। जिले में वर्तमान में हृदय की जन्मजात बीमारी के करीब 214 रोगी सामने आए हैं। 
1.खान-पान का बदलाव: बच्चों में दिल की बीमारी के मामले सामने आने का सबसे बड़ा कारण वातावरणीय प्रभाव माना जा रहा है। वहीं पिछले कई सालों में आया खान-पान का बदलाव भी इसका मुख्य कारण है। पानी और हवा का प्रदूषित होना भी इसका सबसे बड़ा कारण बताया जा रहा है। वातावरण का प्रभाव नवजात शिशु पर ज्यादा पड़ता है। उम्र के शुरुआती एवं अंतिम पड़ाव पर बीमारीयां ज्यादा पकड़ करती है। 
2. गर्भावस्था के दौरान पोषक तत्वों की कमी: महिलाओं में गर्भावस्था के दौरान मिलने वाले पोषक तत्वों की कमी होना भी इसका बड़ा कारण है। क्योंकि उस समय बच्चों के अंगों का विकास होता है। इसमें खासकर दिल और दिमाग पर असर पड़ता है। ऐसे में कम पोषक तत्व इन अंगों पर प्रभाव डालती है। 
3. चिकित्सकों के अनुसार दवाएं समय पर नहीं लेना: तीसरा कारण यह माना जाता है कि चिकित्सकों को अल्ट्रासाउंड की रिपोर्ट में पता चल जाता है कि बच्चे में किस तरह की कमी है। ऐसे में मां को दवाएं दी जाती है लेकिन अधिकांश देखा जाता है कि महिलाएं ये दवाएं लेने में कोताही बरतती है। ऐसे में भी बच्चों के अंगों का विकास नहीं हो पाता। 

No comments