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बूंदाबांदी फसलों के लिए अमृत समान, आमजन घरों व दुकानों में दुबके


पीलीबंगा: पिछले दो-तीन दिन के बाद गुरुवार को बूंदाबांदी के चलते मौसम में सर्दी का असर बढ़ गया। खास बात ये रही कि जिला मुख्यालय सहित पूरे जिले में शाम तक बूंदाबांदी का दौर रुक-रुक कर जारी रहा। माघ के माह में पोष की सर्दी का अहसास करवा दिया। वहीं बूंदाबांदी से सिंचित और असिचिंत क्षेत्र दोनों में फसलों को फायदा है। क्योंकि अभी गेहूं, सरसों और चना तीनों ही बढ़वार की अवस्था में है। ऐसे में इस बूंदाबांदी से फसलों को कोई भी नुकसान नहीं है। हालांकि इस बूंदाबांदी के बदले मौसम ने लोगों की दिनचर्या में अच्छा खासा बदलावा ला दिया। सूरज नहीं निकलने से लोग घरों में ही दुबके रहे। कड़ाके की सर्दी के कारण काम-काज देरी से शुरू हुए तो सड़कों पर वाहनों की गति धीमी हो गई। लोग इस तेज सर्दी से बचाव करते नजर आए। इस बारिश ने जहां ठंड को बढ़ा दिया वहीं मामूली बरसात ने ही कस्बे की सफाई व निकासी व्यवस्था की पोल खोलकर रख दी। सडकों के किनारे बरसाती पानी इकठ्ठा हो जाने से राहगीरों को बेहद परेशानी का सामना करना पड़ा। 
हालांकि जिले में मौसम विभाग नहीं है लेकिन इंटरनेट साइटों के मुताबिक हनुमानगढ़ जिले का अगले कुछ दिनों का तापमान भी इसी तरह रहने का अनुमान है। मौसम विशेषज्ञों की माने तो जम्मू कश्मीर और हिमाचल में हुई बर्फबारी की वजह से सर्दी का असर अचानक बढ़ा है।
बूंदाबांदी होने से लोगों ने सर्दी से बचाव के लिए हीटर लगाए तो गली-मोहल्लों में दोपहर तक सन्नाटा पसरा रहा। 
हिमाचल और जम्मू में बर्फबारी के बाद बदला यहां मौसम...दिन में लोगों को जलानी पड़ी वाहनों की लाइटें 
सर्दी और बूंदाबांदी फसलों के लिए लाभदायक मानी जा रही है फिर भी कृषि विभाग ने बचाव करने के निर्देश दे रखे हैं। कृषि विशेषज्ञों की माने तो गेहूं, चने और सरसों की फसलों के लिए यह बूंदाबांदी कारगर है। यदि पाला पड़े तो फसलों को बचाना चाहिए। गंधक का स्प्रे कर सकते हैं। किसान एक लीटर पानी में एक एमएल का छिड़काव कर सकते हैं। इससे फसलों का बचाव होगा। 
सभी तरह की फसलों के लिए यह बूंदाबांदी काफी लाभदायक है। अभी फसलों को पानी की जरूरत है। इस माह में होने वाली बारिश अमृत के समान है। इससे फसलों की गुणवत्ता भी बरकरार रहेगी। यदि ओले गिरते तो फसलों को नुकसान हो सकता था हालांकि बूंदाबांदी ने किसानों के लिए राहत भरी है। 
यदि कहीं पाला पड़े तो किसानों को फसलों को बचाना चाहिए। बारानी में फसलों के लिए बारिश अच्छी साबित होगी। जमीन में जिंक की कमी होने के कारण गेहूं को पीलेपन से बचाएं। यूरिया और जिंक का छिड़काव करें। मावठ फसलों के उत्पादन पर भी अच्छा असर छोड़ेगी। 

जिले में बिजाई का गणित: 
जिले में गेहूं 2 लाख 50 हजार, सरसों 1 लाख 20 हजार, चना सिंचित क्षेत्र में 75000, एवं असिंचित में भी 75000 है। 
गेहूं 
गेहूं में पीलापन नहीं आए इसके लिए जिंक सल्फेट 350 ग्राम, डेढ़ किलो यूरिया को 100 लीटर पानी में घोल कर स्प्रे करें। 
सरसों 
सरसों में किसी तरह की कोई बीमारी नहीं है। सरसों पकाव पर है। फलियां आ गई हैं। इसमें कोई दवा छिड़कने की जरूरत नहीं है। 
चने के लिए 
सिंचित क्षेत्र में 100 लीटर पानी में दो केजी यूरिया का छिड़काव करें। यही गतिविधि 15-15 दिन बाद रिपीट करें। इससे फसल को फायदा पहुंचेगा। 

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