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मंगल भावना समारोह का आयोजन

पीलीबंगा : मुमुक्षु डॉ. प्रियंका जैन को शांतिदूत महातपस्वी आचार्य श्री महाश्रमण जी 11 नवम्बर 2018 को चैन्नई में समणी-दीक्षा प्रदान करेंगे। उल्लेखनीय है कि उच्च शिक्षा प्राप्त मुमुक्षु डॉ. प्रियंका जैन जैन विश्व भारती विश्वविद्यालय से जीवन-विज्ञान एम.ए. गोल्ड मेडलिस्ट हैं। यू.जी.सी. द्वारा नेट परीक्षा में जेआरएफ मैरिट में अपना नाम दर्ज करवाकर पी.एच.डी. की है। यह सब करने के उपरांत अपने जीवन का लक्ष्य आत्मशुद्धि के पथ पर चलने का बनाकर जन्म भूमि पीलीबंगा को गौरवान्वित कर रही है। ऐसी होनहार व साहसिक कार्य करने वाली बेटी के अभिनन्दन में तेरापंथ सभा पीलीबंगा द्वारा जैन भवन में साध्वी श्री गुप्तिप्रभाजी के सानिध्य मंगल भावना समारोह मनाया गया | मुमुक्षु बहिन वर्तमान में जैन विश्व भारती लाडनूं विश्वविद्यालय में इंग्लिश डिपार्टमेंट की असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में अपनी सेवाएं दे रही है | 
दीक्षित होने से पूर्व जन्मभूमि पीलीबंगा आने पर पीलीबंगा जैन समाज द्वारा आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि जिलाधीश दिनेश चंद्र जैन ने दीक्षार्थी वहीं के भावी आध्यात्मिक जीवन के प्रति मंगल भावना व्यक्त की | विशिष्ट अतिथि डॉ पारस जैन, ओम प्रकाश जैन लक्ष्मी चंद जैन, पूर्व आंचलिक अध्यक्ष कृष्ण जैन, पंकज खंडेलवाल, राजकुमार छाजेड़ व तेरापंथ युवक परिषद की टीम, अनन्या जैन, निर्जरा जैन, दीपिका जैन, तेरापंथ सभा हनुमानगढ़ के पूर्व अध्यक्ष सुरेंद्र कोठारी, तेरापंथ सभा के मंत्री महेंद्र नौलखा, सुशीला नाहटा, महिला मंडल, प्रीति डाकलिया एवं  साध्वीश्री कुसुमलता साध्वीश्री मौलिकयशा, साध्वीश्री भावितयशा ने वक्तव्य एवं गीतिका के माध्यम से अपनी मंगल भावना व्यक्त की | 
मुमुक्षु बहिन ने कहा “मेरे भीतर वैराग्य का बीज वपन करने में मुख्य रूप से भूमिका रही शासन गौरव साध्वी श्री राजमती जी की विशेष प्रेरणा रही है और आचार्य महाप्रज्ञ द्वारा कही गयी पंक्ति ने हमेशा मेरा इस मार्ग पर बढ़ने के लिए उत्साहवर्धन किया साधक ‘ बोलो साधक दुर्गम पथ पर तुम न चलोगे तो कौन चलेगा |’  आचार्य श्री महाश्रमण जी की कृपा से मैं 11 नवंबर को इस गौरवशाली तेरापंथ धर्म संघ की सदस्य बनने जा रही हूं | “ पूरे पीलीबंगा समाज को अपने पति मंगल भावना के लिए उपहार स्वरूप कुछ ना कुछ त्याग का संकल्प मांगा और क्षमा याचना भी की | 
अपने मंगल वक्तव्य में साध्वी श्री गुप्तिप्रभा ने कहा “ दीक्षा अज्ञात को ज्ञात करने का अनंत संभावनाओं को उजागर करने का एवं आत्मा अयोध्या का राजमार्ग है इसमें व्यक्ति संसार में रहता है पर संसार उसके भीतर नहीं रहता है अनंत मिथ्यात्वी में एक सम्यक्त्वी होता है असंख्य सम्यकतवी में एक श्रावक होता है असंख्य श्रावको में 1 संयमी  होता है और हजारों संयमियों में एक वीतरागी होता है | अतः हम समझे संयम जीवन दुर्लभ-दुर्लभतम होता है और प्रबल पुण्योदय से प्राप्त होता है |” 
कार्यक्रम की शुरुआत कन्या मंडल द्वारा गाई मंगलाचरण गीत से हुई | इससे पूर्व कस्बे के मुख्य मार्गों से मुमुक्षु बहिन की शोभायात्रा निकाली गई | शोभायात्रा एवं समारोह में जैन एवं जैनेतर समाज ने बढ़-चढ़कर अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई| श्रीगंगानगर- हनुमानगढ़  अंचल के सूरतगढ़, हनुमानगढ़ ढाबा, लीलावाली आदि क्षेत्रों से भी श्रावक गण पहुंचे | सभा के अध्यक्ष प्रदीप बोथरा ने आए हुए आगंतुकों का आभार व्यक्त किया और साहित्य देकर सम्मान किया | मंच का कुशल संचालन देवेंद्र बांठिया ने किया |

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