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खेतों में लहलहा रहे नरमे के पौधे एकाएक सूखने लगे शिकायतों के बाद वैज्ञानिकों की टीम बुलाई, जांच शुरू


जिले भर के खेतों में लहलहा रहे नरमा के हरे-भरे पौधे एकाएक मुरझाने के मामले सामने आ रहे हैं। जिला स्तर पर कृषि अधिकारियों को भी इसकी वजह समझ नहीं आ रही थी। कृषि अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिकों को भी जांच के लिए बुलाया गया। अब कृषि वैज्ञानिक नरमा के पौधों की वजह जानने में जुटे हैं। हालांकि प्रारंभिक तौर पर कहा जा रहा है पौधों के मुरझाने की वजह पैराबिल्ट है। सिंचाई कार्य में ट्यूबवैल के पानी का अधिक उपयोग करने से पैराबिल्ट की समस्या पैदा होती है। अब विभागीय अधिकारी किसानों को जागरूक करने का प्रयास कर रहे हैं। इसके अलावा पौधों में आ रही समस्या को लेकर आगे भी रिसर्च की जा रही है ताकि समस्या की पूरी पड़ताल हो सके। मिली जानकारी के अनुसार पैराबिल्ट के कारण पौधे मुरझाने के मामले पूरे जिले में सामने आ रहे हैं। कई किसान पौधों के मुरझाने की फोटोग्रॉफ फेसबुक पर भी शेयर कर रहे हैं। खास बात यह है कि सभी पौधे नहीं मुरझा रहे हैं बल्कि बीच-बीच में ऐसा देखने को मिल रहा है। 
खास बात यह- आधे पौधे सूख रहे, आधे सही, खेतों में जांच को पहुंचे अधिकारी 
नरमा के पौधे मुरझाने की वजह ट्यूबवैल के पानी को बताया है। पिछले दो दिन से कृषि उपनिदेशक जयनारायण बेनीवाल, कृषि अधिकारी बलकरण सिंह व कृषि वैज्ञानिक डॉ. सुबोध बिश्नोई बीटी कपास के खेेतों का अवलोकन किया। 2 एसटीजी, 18 एनडीआर व 17 एनडीआर में खेतों से पानी व मिट्टी के सैंपल भी लिए गए। पानी के कुछ नमूनों का ईसी पांच से अधिक पाया गया। बेनीवाल ने बताया कि इलाके की जमीन को देखते हुए ईसी दो से अधिक नहीं होना चाहिए। बेनीवाल ने बताया कि ट्यूबवैल के पानी का अधिक उपयोग करने से पौधे की जड़ें मिट्टी से सूक्ष्म पोषक तत्व नहीं सोख पाती हैं। इसके चलते पौधे मुरझाने लगते हैं। 
पोटेशियम नाइट्रेट, मैग्नीशियम सल्फेट, जिंक सल्फेट, यूरिया को पानी में घोलकर स्प्रे करें 
कृषि विभाग की ओर से पौधों के मुरझाने की विस्तृत वजहों का अध्ययन किया जा रहा है। हालांकि प्रारंभिक तौर पर ट्यूबवैल के पानी को जिम्मेदार मानते हुए बचाव की गाइडलाइन जारी की गई है। कृषि उपनिदेशक जयनारायण बेनीवाल ने बताया कि पैराबिल्ट से प्रभावित खेतों में ट्यूबवैल के पानी का उपयोग नहरी पानी में मिलाकर ही करें। पूरी तरह से ट्यूबवैल का पानी लगाने पर हल्की सिंचाई ही करें। पौधों के मुरझाते ही एक किलोग्राम पोटेशियम नाइट्रेट, एक किलोग्राम मैग्नीशियम सल्फेट 9.6 प्रतिशत कृषि ग्रेड, 350 ग्राम 33 प्रतिशत जिंक सल्फेट तथा 500 ग्राम यूरिया को 100 लीटर पानी में घोलकर स्प्रे करें। इससे पैराबिल्ट से बचाव संभव है। 

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