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नरमा की आढ़त नहीं मिलने का विरोध शुरू, व्यापारियों ने आज से 5 दिन तक मंडियां बंद करने की घोषणा की

नरमा की सरकारी खरीद पर आढ़त नहीं देने के विरोध में व्यापारियों का आंदोलन तेजी पकड़ रहा है। अब एक से पांच सितंबर तक मंडियों में हड़ताल की घोषणा की गई है। इसमें हनुमानगढ़ व श्रीगंगानगर की सभी मंडियों के व्यापारी शामिल होंगे। व्यापारी नेताओं के मुताबिक अन्य राज्यों के व्यापारी भी हड़ताल पर रहेंगे। गौरतलब है कि इस साल कॉटन कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया की ओर से मंडियों में नरमा की सरकारी खरीद किए जाने की बात सामने आई है। ऐसा कहा जा रहा है कि सीसीआई की ओर से की जाने वाली खरीद पर व्यापारियों को आढ़त का भुगतान नहीं होगा। इसके चलते व्यापारिक संगठन नई नीति का विरोध कर रहे हैं। इस सबके बीच किसानों को समर्थन मूल्य पर खरीद का बड़ा लाभ मिल सकता है। जानकारी के मुताबिक अभी हरियाणा की मंडियों में नरमा की आवक शुरू हुई है और बोली 6000 रुपए प्रति क्विंटल से अधिक जा रही है। मंडी के जानकारों की माने तो इस साल नरमा के भावों में यही तेजी बने रहने की उम्मीद है।
सीसीआई की ओर से खरीद की तैयारी जारी व्यापारियों के विरोध के बीच सीसीआई की ओर से खरीद की तैयारियां जारी हैं। मंडी समिति के पास इस संबंध में पत्र आने के बाद सीसीआई को पर्याप्त संख्या में कर्मचारी व अधिकारियों की नियुक्ति बाबत पत्र लिखा गया है। मंडी समिति अधिकारियों के मुताबिक खरीफ सीजन में पीलीबंगा मंडी में नरमा की आवक काफी अधिक रहती है। खरीद के लिए पर्याप्त व्यवस्था न होने पर स्थितियां बिगड़ सकती हैं। इसलिए सीसीआई को पर्याप्त व्यवस्था के लिए लिखा गया है। 
व्यापारियों से मिली जानकारी के मुताबिक एक दशक से भी अधिक समय बाद सीसीआई द्वारा नरमा की खरीद की तैयारी हुई है। इससे पहले रबी सीजन में भी सरसों, मूंगफली, मूंग व मोठ आदि कृषि जिंसों की खरीद राजफैड द्वारा की गई थी। इस खरीद पर भी आढ़त का भुगतान नहीं हुआ लेकिन उस समय व्यापारिक संगठन खुलकर सामने नहीं आए। इसकी वजह यह थी कि सरकारी खरीद की मात्रा काफी कम थी और इन कृषि जिंसों को मुख्य फसलों में नहीं माना जाता है। अब नरमा के मामले में बड़ी राशि दांव पर लगी है। मोटे अनुमान के मुताबिक धान मंडी में ही नरमा की आढ़त के रूप में 4-5 करोड़ रुपए का भुगतान होता है। यह आय बंद होने पर व्यापारियों को बड़ा नुकसान होगा। 
व्यापारियों को लग रहा है कि सरकार धीरे-धीरे सभी कृषि जिंसों से आढ़त खत्म कर सकती है। गौरतलब है कि गेहूं की खरीद भी सरकारी एजेंसी एफसीआई करती है लेकिन इस पर आढ़त का भुगतान किया जाता है लेकिन अब व्यापारी हर कृषि जिंस को लेकर असमंजस में हैं। 
सरकार द्वारा आढ़त का भुगतान न करने पर मंडी में जताया विरोध व्यापार मंडल के सभी व्यापारियों ने समर्थन मूल्य पर कृषि जिंसों की खरीद पर सरकार द्वारा आढ़त का भुगतान न करने के विरोध में उतरने का निर्णय लिया गया। इसे लेकर हुई बैठक में व्यापारियों ने कहा कि दो प्रतिशत आढ़त के भुगतान का प्रावधान नियमों में भी है। सरकार कच्ची आढ़त के व्यवसाय को खत्म करने के लिए ऐसी नीतियां बना रही है। व्यापारियों ने कहा कि कच्चा आढ़तिया आपात स्थिति में किसान के काम आता है। व्यापारियों की ओर से आढ़त बढ़ाकर ढाई प्रतिशत करने की मांग की जा रही थी लेकिन सरकार दो प्रतिशत का भुगतान भी नहीं कर रही है। व्यापारियों ने एक से पांच सितंबर तक व्यापार बंद रखने और  ज्ञापन सौंपने का निर्णय लिया। व्यापारियों ने समर्थन मूल्य पर सरकार द्वारा खरीदी जाने वाली कृषि जिंसों पर आढ़त दिलवाए जाने, आढ़त की दर 2 प्रतिशत से 2.5 प्रतिशत करने, ऑनलाइन बोली का आदेश निरस्त करने की मांग की। 

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