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काव्य गोष्ठी: हम मजदूर हैं, हमसे बरसात की बात न करो...सुनाकर मजदूर की व्यथा बताई


अखिल भारतीय साहित्य परिषद व श्री जयलक्ष्मी साहित्य कला एवं नाटक मंच के संयुक्त तत्वावधान में मंच के कला भवन में रविवार को सुबह 10 बजे काव्य गोष्ठी का आयोजन साहित्यकार बलविंद्र भनौत की अध्यक्षता में किया गया। गोष्ठी में बलविंद्र भनौत ने 'पेड़ कटे फूलों वाले, सखियां बिछुड़ीं बचपन कीं' कविता के माध्यम से श्रावण मास की महत्वता पेश की। 
विजय बवेजा ने 'बदले की भावना में जीता है आदमी' कविता सुनाकर वर्तमान समय की हकीकत पेश की। 
निखिल बिश्नोई ने 'हम मजदूर हैं, हमसे बरसात की बात न करो' सुनाकर मजदूरों की व्यथा पेश की। मदन पारीक ने 'रिश्ते निभाना भूल बैठे' कविता सुनाई। प्रकाश बिश्नोई ने 'जिंदगी एक पुराना ख्वाब है' कविता पेश की। इस अवसर पर सोहनलाल, राहुल कालवा, रामचंद्र पारीक सहित अन्य परिषद सदस्य उपस्थित थे। मंच संचालन निखिल बिश्नोई व विजय बवेजा ने किया।

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