बारिश के साथ गिरे ओले,फसलों में 25% तक नुकसान
खेतों में तैयार रबी की फसलों
पर गिरे ओलों और बेमौसम की
बारिश ने एक बार फिर किसानों
की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है।
जिले में गोलूवाला, टिब्बी और
पीलीबंगा, रावतसर क्षेत्र के गांवों
और चकों में बुधवार भोर में हुई
भारी ओलावृष्टि से जहां सरसों
और चने की फसल को नुकसान
हुआ है वहीं बाकी तहसीलों में भी
मामूली बूंदाबांदी और तेज हवाओं
ने किसानों के चेहरों पर चिंता की
लकीरें खींच दी है। किसानों को रबी
की प्रमुख फसल गेहूं की चिंता भी
सता रही है। कृषि विभाग के अनुसार
गोलूवाला के ग्रामीण क्षेत्र में सरसों
की फसल को 50 से 80 प्रतिशत
तक नुकसान पहुंचा है तो वहीं टिब्बी
के गांवों और चकों में 25 प्रतिशत
तक प्रारंभिक नुकसान बताया जा
रहा है। पीलीबंगा के ग्रामीण क्षेत्रों में
नुकसान 15 से 20 प्रतिशत आंका
गया है। कृषि पर्यवेक्षकों की माने
तो इस ओलावृष्टि से फसल का
उत्पादन प्रभावित होगा। वहीं मौसम
विभाग का अनुमान है कि अगले
एक-दो दिन मौसम खराब रह सकता
है।
यूं समझें फसलों का गणित:
तेज हवा और बारिश से गेहूं की बालियां झड़ सकती हैं
रबी सीजन मेंबोई गई जौ और गेहूंकी फसल खेतों में तैयार होने की
स्थिति में है वहीं सरसों और चना लगभग पक चुका है। सरसों लोग
काटने लगे हैं तो चना आगामी दस दिनों में काट ने में जुट जाएंगे। वहीं
गेहूं की फसल आगामी अप्रैल में काटनी शुरू करेंगे। सरसों की फलियों
पर ओलों ने काफी ज्यादा नुकसान पहुंचाया है वहीं तेज हवा और बारिश
आगामी दिनों में रही तो गेहूं की बालियां झड़ सकती है और नुकसान का
यह आंकड़ा और बढ़ सकता है।
सरसों और चने का क्षेत्र घटा: हालांकि कृषि विभाग
के मुताबिक सरसों की बिजाई 97 हजार 680 हैक्टेयर में
हुई है। जबिक पिछली बार यह 1 लाख 22415 हैक्टेयर थी।
गेहूं इस बार 2 लाख 43 हजार 400 हैक्टेयर बोई गई है जो
पिछली बार 2 लाख 40 हजार 237 हैक्टेयर थी। इसी तरह
चना इस बार 79 हजार 350 हैक्टेयर में बोया गया है जो 1
लाख 5 हजार 897 था।
किसानों को दी सावधानी बरतने
की हिदायत:
कृषि विभाग के उपनिदेशक
जयनारायण बेनीवाल ने बताया कि सरसों में
नुकसान के समाचार हैं। कृषि पर्यवेक्षकों को मौके
पर सर्वे करने के निर्देश दिए गए हैं, वहीं किसानों
को बदलते मौसम में सावचेती बरतने की हिदायत
दी है।
बड़ा सवाल
किसान अपनी
फसल संभाले या फॉर्म भरे
किसानों को फसल बीमा क्लेम के
लिए फॉर्म भरने पड़ते हैं, क्यों कि
फसल बीमा वाले किसानों को 48
घंटों में संबंधित कंपनी को सूचना
देनी होती है। इसके बाद कमेटी
का गठन होता है फिर वह कमेटी
गिरदावरी कर नुकसान का आकलन
करती है फिर नुकसान की भरपाई
और क्लेम आदि किसानों को मिल
पाता है।
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