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डॉ.अंबेडकर समता संघ के तत्वावधान में शौर्य दिवस का आयोजन

पीलीबंगा| डॉ.अंबेडकर समता संघ के तत्वावधान में मंगलवार को गांव डींगवाला में शौर्य दिवस का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में भीमकोरे गांव के बहुजन समाज की महार जाति की 1 जनवरी 1818 की ऐतिहासिक वीरगाथा का वर्णन कर उपस्थितजनों ने नववर्ष पर विभिन्न संकल्प लिए। इससे पूर्व संघ प्रधान विनोद गौतम प्रकाश गोदारा ने महात्मा बुद्ध एवं बाबा साहेब के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम की शुरूआत की। वक्ताओं ने बहुजन समाज की महार जाति के 500 महारों की ऐतिहासिक वीरगाथा, पराक्रम एवं शौर्य गाथा सुनाई। कार्यकर्ताओं ने नववर्ष में समाज में फैली कुरीतियों का विरोध करने, बालिका शिक्षा, नैतिक शिक्षा पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने का संकल्प लिया। इस अवसर पर संदीप गोदारा, विजय ओड, तवेन्द्र बराड़, बजरंग हर्षवाल, फिरोजशाह, सोनू खटोड़, जियाउलहक मुकेश बौद्ध सहित अनेक ग्रामीण उपस्थित थे। मंच संचालन विनोद गौतम ने किया। 

विड़म्बना देखिये इसी शौर्य दिवस को लेकर आज महाराष्ट्र में भीमा-कोरेगांव लड़ाई की सालगिरह पर भड़की चिंगारी से हिंसा भड़क गयी , हिंसा में एक व्यक्ति की मौत हुई थी, जिसके बाद पूरे राज्य में धीरे-धीरे हिंसा पुणे के बाद मुंबई तक फैली. राज्य सरकार ने मामले की न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं. हिंसा के खिलाफ बुधवार को कई संगठनों ने बंद बुलाया है | 
आखिर क्या है भीमा कोरेगांव की लड़ाई 
भीमा कोरेगांव की लड़ाई 1 जनवरी 1818 को पुणे स्थित कोरेगांव में भीमा नदी के पास उत्तर-पू्र्व में हुई थी. यह लड़ाई महार और पेशवा सैनिकों के बीच लड़ी गई थी | अंग्रेजों की तरफ 500 लड़ाके, जिनमें 450 महार सैनिक थे और पेशवा बाजीराव द्वितीय के 28,000 पेशवा सैनिक थे, मात्र 500 महार सैनिकों ने पेशवा की शक्तिशाली 28 हजार मराठा फौज को हरा दिया था | हर साल नए साल के मौके पर महाराष्ट्र और अन्य जगहों से हजारों की संख्या में पुणे के परने गांव में दलित पहुंचते हैं, यहीं वो जयस्तंभ स्थित है जिसे अंग्रेजों ने उन सैनिकों की याद में बनवाया था, जिन्होंने इस लड़ाई में अपनी जान गंवाई थी | कहा जाता है कि साल 1927 में डॉ. भीमराव अंबेडकर इस मेमोरियल पर पहुंचे थे, जिसके बाद से अंबेडकर में विश्वास रखने वाले इसे प्रेरणा स्त्रोत के तौर पर देखते हैं |

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