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अंत समय में रिश्ते-नाते काम नहीं आते : बाबा गुरिंदरसिंह

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28 पीबीएन : राधास्वामी डेरा ब्यास के प्रमुख बाबा गुरिंदर सिंह ने कहा कि बाहरी सेवा से तन मन निर्मल होता है। लेकिन मुक्ति नाम सिमरन से ही मिलती है। डेरा लालपुरा में बुधवार सुबह सत्संग करते हुए बाबा ने यह उद्गार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि रूहानियत खरीदी नहीं जा सकती है। कुछ लोग पैसे देकर दूसरों से पूजा-पाठ करवाकर यह समझते हैं कि इससे उन्हें धर्म लाभ मिलेगा। सरोवरों में नहाकर मानते हैं कि उन्हें मुक्ति मिल जाएगी। लेकिन जब तक सुरत को शब्द के साथ जोड़कर नाम सिमरन नहीं करेंगे तब तक धर्म लाभ और मुक्ति नहीं मिलेगी। जीवन के अंत समय में रिश्ते-नाते काम नहीं आते हैं। शरीर भी श्मशान तक ही व्यक्ति के साथ रहता है। खुद किया गया नाम सिमरन ही सचखंड तक साथ जाता है। धार्मिक ग्रंथों में जो लिखा है उस पर अमल करना चाहिए। डेरा प्रमुख ने सुबह 10 बजे सत्संग शुरू किया। लगभग 50 मिनट तक प्रवचन किए। इसके बाद लगभग 11:30 बजे वे डेरा ब्यास के लिए रवाना हो गए। सत्संग में राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली अन्य राज्यों से आए एक लाख से अधिक श्रद्धालु शामिल हुए। सत्संग के दौरान डेरे के सेवादारों ने सुरक्षा के मद्देनजर हैंड मेटल डिटेक्टर से श्रद्धालुओं की जेबों सामान की अच्छी तरह से जांच कर ही उन्हें सत्संग हॉल में प्रवेश करने दिया। 

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