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ऑनलाइन ठगी को रोकने के लिए एसबीआई की पहल, बॉयोमैट्रिक सिस्टम से होगा सत्यापन


ग्राहकों को ऑनलाइन ठगी से बचाने के लिए बैंक मार्च 2018 से नया ई-केवाईसी सिस्टम शुरू कर रहे हैं। मार्च तक सभी बैंकों में यह व्यवस्था लागू हो जाएगी। अभी एसबीआई ने इसकी टेस्टिंग भी शुरू कर दी है। 
नई व्यवस्था में ऑनलाइन बैंकिंग के लिए पासवर्ड लगाना नहीं होगा। उनके खाते का सत्यापन बायोमैट्रिक होगा। इसके लिए बैंक ग्राहकों को बायोमैट्रिक स्केनिंग मशीन देंगे। यह पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन बैंकिंग में होने वाल ठगी को रोकने के लिए की जा रही है। इस सुविधा का फायदा लेने के लिए ग्राहक को सबसे पहले अपने बैंक खाते को आधार से लिंक कराना होगा। आधार कार्डधारक जो अंगूठा स्कैनर पर लगाएगा, उसी के खाता ऑपरेट हो जाएगा। इसके लिए देशभर के बैंकों में एंट्री प्वाइंट पर भी बायोमैट्रिक सिस्टम लगेंगे। 
अभीतक यह होता है: मानलीजिए, कोई ग्राहक ऑनलाइन बैंकिंग का इस्तेमाल करते हैं। फिलहाल उन्हें यदि ऑनलाइन पेमेंट करना है या फिर किसी अन्य बैंक खाते में राशि ट्रांसफर करनी है तो उन्हें यूजर आईडी और पासवर्ड की जरूरत होती है। बैंक ग्राहक को ऑनलाइन खाता खोलने और राशि ट्रांजेक्शन के लिए अलग-अलग पासवर्ड मुहैया कराती है। अगर किसी अन्य के खाते में 10 हजार रुपए की राशि भी ट्रांसफर कर रहे हैं तो उन्हें यूजर आईडी और ट्रांजेक्शन पासवर्ड लगाना पड़ता है। 
इसलिए की ई-केवाईसी की व्यवस्था 
रिजर्वबैंक की नई गाइडलाइन है कि सिस्टम में हर नए-पुराने कस्टमर से आधार नंबर लिए जाएं। आधार नंबर को बायोमैट्रिक सिस्टम से जोड़ा जाएगा। पहला फायदा यह होगा कि सिग्नेचर, चेक और विड्राल फॉर्म का काम खत्म हो जाएगा, तो धोखे की आशंका भी कम होगी। 

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