पीलीबंगा : “ जैन धर्म मेंपर्यूषण पर्व का अपना महत्व है |
संसार में अनेक पर्व बनाए जाते हैं | कोई पर्व में
भोग की प्रधानता रहती है ,पर्यूषण पर्व में अध्यात्म की प्रधानता रहती है केवल भोग ही नहीं त्याग भी
आवश्यक है दोनों का संतुलन समाधि का कारण है | पर्यूषण क्यों मनाते
हैं - जो भी क्रिया की जाए उसी में तन्मय बन जाए , अपनी आत्मा में रहने का प्रयास करें , सब प्राणियों के प्रति
मैत्री भावना भाए | संसार में भ्रमण का कारण है राग और द्वेष | पर्यूषण पर्व यह
प्रेरणा देता है कि हम राग द्वेष को कम करें जैसे दीपावली आती है घर की, दुकान की, ऑफिस की सफाई की जाती
है ठीक वैसे ही जब पर्यूषण आता है तो आत्मा में जो कषायों की कलुषता है ईर्ष्या,भय,घृणा आदि के भाव हैं
उन भावों को शुद्ध पवित्र बना कर आत्मा को निर्मल बनाने का प्रयास किया जाता है | धर्म बारहमासी फल है | पर्यूषण, धर्म के मैदान में
दौड़ लगाने की प्रेरणा देता है -यह विचार महातपस्वी आचार्य श्री महाश्रमण की आज्ञानुवर्तीसुशिष्यासाध्वी श्री जयप्रभा जी ने धर्म सभा को संबोधित करते हुए कहा | खाद्यसंयम दिवस पर साध्वी श्री शशिरेखा जी ने अपनी भावभिव्यक्ति दी | महिला मंडल एवं साध्वी श्रीकांत प्रभा जी ने संगीत के माध्यम से वातावरण को संगीतमय में बना दिया|अनेकों श्रावको ने 7 द्रव्य से अधिक न खानेका त्याग कर इस खाद्य संयम दिवस को सार्थक किया |
रात्रिकालीन कार्यक्रम में अभिनव अंताक्षरी रखी गई जिसमें 20 प्रतिभागियों ने भाग लिया | प्रथम स्थान पर सिंपल बांठिया एवं सुनीता बांठियातथा दूसरे स्थान पर सायर बांठिया एवं रिंकी ने प्राप्त कियातेरापंथ सभा भवन में 8 दिवसीय अखण्ड जापभी रखा गया है।
Post a Comment