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अणुव्रत समिति पीलीबंगा द्वारा स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में जैन भवन में कार्यक्रम

शांतिदूत आचार्य श्री महाश्रमण की  आज्ञानुवर्ती साध्वीश्री जयप्रभा के सानिध्य में अणुव्रत समिति पीलीबंगा द्वारा स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में जैन भवन में कार्यक्रम रखा गया | साध्वी श्री जी अपने अपने वक्तव्य कहां  की  “ नैतिकता एक ऐसा खजाना है जिसे सहज कर रखे कभी भी काम आ सकता है | नैतिकता एक ऐसी संपदा है जिस से संपन्न व्यक्ति उच्च शिखरों पर आरोहण कर सकता है | नैतिकता पराधीनता की बेडियों से पनपी हुई बीमारियों से छुटकारा दिला सकता है|
देश स्वतंत्र हुआ तब देश के बड़े बड़े नेता देश के नव निर्माण में लगे हुए थे उनका ध्यान आर्थिक, शैक्षणिक, उद्योग इत्यादि से संपन्न भारत बने इसके लिए योजनाएं बनाए जा रहे थे उस समय आचार्य श्री तुलसी जो  एक  दिव्य-दृष्टा आचार्य थे उन्होंने अनुभव किया केवल इन योजनाओं के  विकास से भारत का सही नक्शा नहीं हो सकता इसके साथ साथ में नैतिकता, राष्ट्रीयता, एक-दूसरे के प्रति संवेदनशीलता आदि  गुणों की भी अपेक्षा है अतः उन्होंने  निर्विशेषण धर्म “अणुव्रत” आंदोलन का प्रवर्तन किया उन्होंने कहा अणुव्रत का उपासना स्थल मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा या कोई अन्य धर्मस्थल नहीं बल्कि व्यक्ति का जीवन व्यवहार है, स्वयं का कार्यक्षेत्र है | उन्होंने अपनी पूरी टीम के साथ इसके प्रचार के लिए जी जान से जुट गए और आखिरी समय तक करते रहे आज भी उनके प्रतिनिधि आचार्य श्री महाश्रमण जी अहिंसा यात्रा के माध्यम से जन-जन को अवगत कराते हुए पूरे भारत में भ्रमण कर रहे हैं |”
श्री राजकुमारजी छाजेड़ द्वारा मंगलचारण गीतिका प्रस्तुत की गयी तत्पश्चात श्री प्रेमजी नाहटा ने वर्तमान भारत की  परिस्थिति के साथ अणुव्रत की उपयोगितासटीक शब्दों में

प्रस्तुत की | साध्वीश्री कान्तप्रभाजी ने अपने विचार गीतिका एवं रोहितप्रभाजी ने वक्तव्य द्वारा रखे | तेरापंथ महिला मंडल की तरफ अलग-अलग रागिनियों में अणुव्रत गीत का रोचक कार्यक्रम प्रस्तुत किया | कार्यक्रम का संचालन श्रीमती प्रतिभा दुगड़ ने किया |






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