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तलाक रोकने की लगातार कोशिश सभी करे

कुटुंब अधिनियम 1984 की धारा 9 में लिखा है- जज तलाक लेने आए दम्पती में समझौते का प्रयास करेंगे। इसके लिए वे कोई भी प्रक्रिया अपना सकते हैं। श्रीगंगानगर फैमिली कोर्ट के जज राजेंद्र शर्मा तलाक के केस में इस धारा का सबसे पहले इस्तेमाल करते हैं। इसलिए अपने फैसलों को लेकर सराहे जाते हैं। 8 सितंबर 2015 को जज शर्मा राधा-रमन के तलाक मामले की सुनवाई कर रहे थे। कोर्ट आए बच्चे माता-पिता के अलग होने के डर से रो रहे थे। बच्चे रोए तो दम्पती भी रो पड़ा। उसी दिन से जज ने तलाक के मामले कम करने की ठान ली। उन्होंने एेसे आइडिया निकाले, जो अलग होने आए पति-पत्नी को उनके बिताए खुशनुमा पल याद दिलाएं। आइडिया पर काम किया तो पॉजिटिव परिणाम मिले। जज 11 महीने में 102 दम्पती को चाय, लंच हिल स्टेशनों पर भेज चुके हैं। 52 ने वापस आने पर तलाक लेने से मना कर दिया। 
सूरत में सामाजिक कार्यकर्ता गीताबहन श्रॉफ तलाक रोकने के लिए काउंसलिंग के दौरान लोगों को सांप-सीढ़ी, शतरंज कैरम जैसे इंडोर गेम खिलाती हैंं। इससे उन पर हावी तनाव कम होता है। फिर इन्हीं खेलों को जिंदगी से जोड़ते हुए मामले को सुधारने की कोशिश करती हैं। 
सरकार ने लोकसभा में जानकारी दी थी कि 2014 में केरल में हर घंटे तलाक के औसतन पांच से ज्यादा केस सामने आए। देश के 11 राज्यों में हर दिन 130 से ज्यादा मामले दर्ज किए गए। वर्तमान में 1000 वैवाहिक जोड़ों में से 13 तलाक ले रहे हैं। 6 साल पहले यह आंकड़ा 1 था। रिश्ते टूटें नहीं, इसलिए देश में कई लोग तलाक रोकने की लगातार कोशिश कर रहे हैं। 
आप और हम मिलकर भी इस सामाजिक काम में सहयोग करे | अगर कोई तलाक से संबंधित incident याद आ रहा हो तो आप comment box में लिखे , शायद कोई पीडित दम्पति उसको पढकर अपने तलाक के निर्णय से पीछे हट जाये और स्वस्थ समाज/परिवार के निर्माण में सहयोग कर सके |

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