तेरापंथ का 257 वा स्थापना दिवस मनाया
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साध्वी श्री जयप्रभा जी ने इस अवसर पर संबोधित करते हुए कहा कि " तेरापंथ धर्मसंघ की स्थापना आचार्य भिक्षु द्वारा स्वत: हुई | तत्कालीन साधुत्व में आई आचार शिथिलता एवं सत्य के प्रति उनकी निष्ठा के फलस्वरुप उन्होंने सतपथ को चुना एवं अकेले ही सत्य पाने के लिए उस पर चल पड़े | पंथ चलाना उनका लक्ष्य नहीं था मगर ज्यों-ज्यों वे संघर्षों को झेलते हुए आगे बढते गए, कारवां बनता चला गया | तेरह की संख्या होने पर एक सेवग द्वारा कही गयी उक्ति - " हे प्रभो ! यह तेरह पंथ " को तेरापंथ के रूप में आपने स्वीकार कर लिया | तेरापंथ जैसी मर्यादा एवं अनुशासन अन्यत्र कही मिलना कठिन है |
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इस से पूर्व आज कार्यक्रम की शुरुआत मंगलाचरण से श्रीमती विनोद छाजेड़ ने किया |
साध्वी श्री कांतप्रभाजी,शशि रेखा जी, एवं रोहितप्रभा जी ने भाषण एवं गीतिका के द्वारा अपने आराध्य को श्रद्धा सुमन अर्पित किए|
कार्यक्रम में श्रीमती पुष्पा नाहटा, श्रीमती विमला बांठीया, गणेश जैन, सीमा जैन, सिंपल जैन, प्रीति जैन, शायर जैन, संगीता जैन, सुशीला जैन, रुमन जैन ने भाषण एवं गीतिका द्वारा अपने विचार प्रस्तुत किए |
इस अवसर पर अखंड जप माला व धम्मजागरणा का कार्यक्रम भी हुआ |
कार्यक्रम का संचालन देवेंद्र बांठीया ने किया|
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