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सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (नीट ) को मंजूरी दी

सुप्रीमकोर्ट ने एमबीबीएस, बीडीएस और पीजी में एडमिशन के लिए एक ही परीक्षा नेशनल एलिजिबिलिटी कम एन्ट्रेंस टेस्ट यानी नीट को मंजूरी दे दी है। यानी अब सरकारी और प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन इसी आधार पर होंगे। इससे अलग-अलग कॉलेजों और राज्यों के टेस्ट पर रोक लग गई है। परीक्षा दो चरणों में होगी, लेकिन रिजल्ट एक साथ जारी किया जाएगा। केंद्र, मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया और सीबीएसई के शेड्यूल के मुताबिक पहला टेस्ट एक मई को होगा। ऑल इंडिया प्री-मेडिकल टेस्ट यानी एआईपीएमटी की जगह अब नीट होगा। इसमें करीब साढ़े छह लाख परीक्षार्थी शामिल होंगे। परीक्षा का दूसरा चरण 24 जुलाई को होगा, जिसमें करीब ढाई लाख परीक्षार्थी शामिल होंगे। दोनों रिजल्ट एक साथ 17 अगस्त को घोषित किया जाएगा और प्रवेश प्रक्रिया 30 सितंबर तक पूरी हो जाएगी। 
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले हफ्ते 2013 में दिए अपने उस आदेश को रद्द कर दिया था जिसमें कॉमन टेस्ट को खारिज किया गया था। इसमें परीक्षा आयोजित करवाने के एमसीआई के अधिकार पर सवाल उठाए गए थे। 2013 के आदेश को रद्द करने के फैसले का तेलंगाना, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश जैसे राज्य विरोध करते रहे हैं। कई निजी कॉलेजों ने भी कॉमन टेस्ट का यह कहते हुए विरोध किया था कि इससे एडमिशन में उनकी स्वायत्तता का हनन होगा। 

करीब 9 लाख छात्रों को होगा फायदा 

{पहले चरण की परीक्षा 1 मई और दूसरे चरण की 24 मई को होगी 
{दोनों चरणों का रिजल्ट एक साथ 17 अगस्त को घोषित होगा 
{ केंद्र, सीबीएसई, एमसीआई ने तैयार किया है नीट का शेड्यूल 

सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट को मंजूरी दी 

अभी यह है व्यवस्था 
{एमबीबीएस,बीडीएस और पीजी के लिए छात्रों को करीब 90 अलग-अलग परीक्षाएं देनी पड़ती है। 
{ऑल इंडिया कोटे की सिर्फ 15 फीसदी सीटों के लिए कॉमन टेस्ट एआईपीएमटी होता है। 
{इसके अलावा राज्य और निजी मेडिकल कॉलेज अलग-अलग एंट्रेंस टेस्ट लेकर सीटें भरते हैं। 
ऐसे होगा परीक्षा का आयोजन 
{नीटके आयोजन के लिए केंद्र, राज्य, संस्थान, पुलिस सीबीएसई की मदद करेंगे। 
{टेस्ट पारदर्शी तरीके से हो, इसके लिए इलेक्ट्रॉनिक तरीके और जैमर आदि का इस्तेमाल किया जाएगा। 
{नीट के आयोजन के बाद सीबीएसई ऑल इंडिया रैंक तैयार करेगी। 
पांच राज्यों ने किया था विरोध 
तमिलनाडु,तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक ने कॉमन टेस्ट नीट का विरोध किया था। तमिलनाडु का कहना था कि वहां टेस्ट नहीं होता, बल्कि मेरिट के आधार पर एडमिशन देते हैं। इस पर केंद्र और सीबीएसई की तरफ से अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल पिंकी आनंद ने कहा,'1 मई को प्रस्तावित एआईपीएमटी के लिए आवेदन करने वाले 15,000 छात्र तमिलनाडु से ही हैं। ऐसे में यह कहना ठीक नहीं होगा कि उन्हें इस बारे में पता नहीं है। 
{कॉमन टेस्ट से देश भर के करीब नौ लाख छात्रों को फायदा होगा। उन्हें अलग-अलग कॉलेज के लिए अलग-अलग टेस्ट नहीं देने होंगे। 
{24 मई को होने वाले टेस्ट के लिए वे छात्र भी आवेदन कर सकते हैं, जिन्होंने 1 मई को प्रस्तावित एआईपीएमटी के लिए आवेदन नहीं किया था। 
{देशभर में 600 से ज्यादा प्राइवेट मेडिकल कॉलेज और माइनॉरिटीज मेडिकल इंस्टीट्यूशन अलग से एंट्रेंस टेस्ट नहीं ले पाएंगे। 
{इन इंस्टीट्यूट को में नेशनल एलिजिबिलिटी कम एन्ट्रेंस टेस्ट में चयनित छात्रों को ही एडमिशन देना होगा। 
एनजीओ की जनहित याचिका पर फैसला 
सुप्रीमकोर्ट का यह अहम फैसला संकल्प चैरिटेबल ट्रस्ट नाम के एनजीओ की जनहित याचिका पर आया है। ट्रस्ट का आरोप था कि केंद्र सरकार, एमसीआई और सीबीएसई कोर्ट के फैसले का ठीक से पालन नहीं कर रहे हैं। ट्रस्ट के वकील अमित कुमार ने कोर्ट से कहा- 'मेडिकल कॉलेज में एडमिशन के लिए छात्रों को 90 अलग-अलग परीक्षाएं देनी पड़ती हैं और लाखों रुपए खर्च करने पड़ते हैं। इसके बावजूद ज्यादातर टेस्ट ईमानदारी से नहीं कराए जाते।' सुप्रीम कोर्ट इन दलीलों से सहमत हुआ और नीट के प्रस्ताव को हरी झंडी देते हुए इसे इसी सत्र से लागू करने के आदेश दे दिए। 

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