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किसान बोले-पर्याप्त मुआवजा नहीं मिला तो करेंगे चुनाव का बहिष्कार

सोमवार को हुई ओलावृष्टि से प्रभावित हुए काश्तकार अब मुआवजे की मांग को लेकर लामबंद होने लगे हैं। गुरुवार को कई ग्राम पंचायत क्षेत्रों के किसानों ने किशनपुरा दिखनादा में बैठक करके पर्याप्त मुआवजा न मिलने पर लोकसभा चुनाव के बहिष्कार का ऐलान किया। राजेंद्रसिंह रमाणा ने कहा कि सरकार की ओर से घोषित किए गए मुआवजे में तो किसान की लागत भी पूरी नहीं होगी। सरकारी नियमों के कारण अधिकांश किसान मुआवजा राशि से ही वंचित रह जाएंगे जबकि दर्जनों पंचायतों के सैकड़ों किसानों की फसलें ओलावृष्टि के कारण बर्बाद हो गई हैं। रामेश्वर चांवरिया ने कहा कि सरकार ने प्रति हेक्टेयर नौ हजार रुपए का मुआवजा देने की घोषणा की है जबकि एक बीघा का नुकसान ही इससे अधिक है। उन्होंने कहा कि किसानों को प्रति बीघा 15-20 हजार रुपए मुआवजा दिया जाए। इस मौके पर सुरेंद्र बेनीवाल ने कहा कि सरकार को पर्याप्त मुआवजे के साथ-साथ बैंकों व सोसायटी से लिए गए लोन व बिजली बिल भी माफ करने चाहिए। ऐसा न होने पर ओलावृष्टि से प्रभावित क्षेत्र का कोई मतदाता वोट डालने नहीं जाएगा। राजनीतिक दलों का भी बहिष्कार किया जाएगा। कोई भी पोलिंग एजेंट नहीं बनेगा और न ही गांव में राजनीतिक सभा होने दी जाएगी।
किसानों की शिकायत 
सोमवार को ओलावृष्टि के बाद प्रशासन ने तुरंत ही सर्वे की घोषणा कर दी थी। प्रशासनिक अधिकारियों के मुताबिक सर्वे का काम पूरा कर लिया गया है और 50 प्रतिशत से अधिक खराबा होने पर किसानों को प्रति हेक्टेयर नौ हजार रुपए का मुआवजा दिया जाएगा। किसान इससे संतुष्ट नहीं हैं। किसानों का कहना है कि इससे अधिक मुआवजा तो प्रति बीघा का बनता है। 
अखिल भारतीय किसान सभा के पदाधिकारियों ने ओलावृष्टि से प्रभावित फसलों का मुआवजा देने की मांग की है। सभा के गोपाल बिश्नोई ने बताया कि जिले के पीलीबंगा, रावतसर, नोहर, टिब्बी, हनुमानगढ़, भादरा व संगरिया तहसीलों के कई गांवों में ओलावृष्टि हुई है। इससे गेहूं व सरसों की फसलें 90 प्रतिशत बर्बाद हो गई हैं। अखिल भारतीय किसान सभा के पदाधिकारियों ने 15 हजार रुपए प्रति बीघा के हिसाब से पीडि़त किसानों को मुआवजा देने की मांग की है। इस संबंध में सभा के पदाधिकारी शुक्रवार को कलेक्टर को ज्ञापन देकर मुआवजा दिलाने की मांग करेंगे। इसके साथ ही किसानों को फसलों का बीमा कंपनी द्वारा तय राशि का भुगतान करवाने की मांग की है। वक्ताओं ने बताया कि बीमा कंपनी बीमा के नाम पर हर साल किसानों से प्रीमियम लेती है। 

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