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श्रीगंगानगर सहित प्रदेश के तीन जिलों में शुरू हुई सुविधा, डिवाइस में स्टोर होगा धड़कनों का डाटा, सैटेलाइट से सीधे डॉक्टर को मिलेगा डाटा...तुरंत सलाह और होगा इलाज

दिल के बीमारों को अब रूटीन चेकअप के लिए जयपुर जाने की जरूरत नहीं। जयपुर के डॉक्टर्स ऐसे पेसमेकर्स पर काम कर रहे हैं, जो सैटेलाइट के जरिए घर से ही डॉक्टर को मरीज के दिल की हालत बताने में सक्षम हैं। श्रीगंगानगर में यह तकनीक शुरू हो चुकी है। इस तकनीक में पेसमेकर के अलावा एक डिवाइस मरीज को साथ रखनी होती है, जो पेसमेकर का डाटा कलेक्ट करती है। फिर इस डिवाइस को स्थानीय सैटेलाइट सेंटर पर लाकर डाटा डॉक्टर को ट्रांसफर किया जा सकता है। यह सुविधा जयपुर के एक निजी अस्पताल ने श्रीगंगानगर सहित प्रदेश के तीन जिलों में चालू की है। इस अस्पताल के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. जेएस मक्कड़ के मुताबिक श्रीगंगानगर, अलवर और सीकर में ऐसे सैटेलाइट सेंटर्स भी बनाए गए, जहां मरीज अपना डाटा भेज सकते हैं। श्रीगंगानगर जिले में 30 मरीजों को यह डिवाइस लगाई गई है और सुखाडिय़ा नगर में इसका सैटेलाइट सेंटर बनाया गया है। इसी सेटेलाइट से डाटा लेकर मरीजों को इलाज की सलाह दे दी जाएगी। डॉ.मक्कड़ श्रीगंगानगर में अनूपगढ़ के रहने वाले हैं। डा.मक्कड़ ने बताया कि अभी एक अन्य तकनीक पर भी काम चल रहा है। इसमें डायरेक्ट सैटेलाइट के जरिए पेसमेकर्स का डाटा एकत्र कर डॉक्टर को सीधे ही भेजा जाएगा। सैटेलाइट सेंटर पर भी आने की जरूरत नहीं होगी और न ही एक अन्य डिवाइस रखने की जरूरत है। 

शुरुआती पेसमेकर्स काफी बड़े और सिंगल चैंबर वाले होते थे। इनका वजन आधा किलो तक होता था। इनकी बैटरी मरीज को गले में लटकाकर रखनी होती थी। फिर इनोवेशन हुए। नया लीडलैस पेसमेकर मौजूदा पेसमेकर के मुकाबले दस गुना छोटा है। बैटरी भी इसी के भीतर है। इसके लिए ऑपरेशन करने की भी जरूरत नहीं है। इसे फीमोरल वेन से कैथेटर के जरिए दिल में पहुंचाया जाता है। इसके साथ कोई तार भी जुड़ा नहीं होता। इसलिए इसे लीडलेस पेसमेकर भी कहते हैं। पिछले माह ही यूरोपियन यूनियन ने इसे अप्रूव किया है। एसएमएस अस्पताल में कार्डियो-थोरेसिक सर्जरी के विभागाध्यक्ष डॉ. आरएम माथुर के मुताबिक फिलहाल यह तकनीक यहां उपलब्ध नहीं है, लेकिन भविष्य में जरूर इस पर काम हो पाएगा। एसएमएस में आने वाले मरीज इतने सक्षम नहीं होते कि महंगे पेसमेकर्स लगवा सकें। 
ऐसा है नया पेसमेकर 

नया पेसमेकर मोबाइल फो की तकनीक पर काम करता है। इसमें डॉक्टर कुछ इमरजेंसी सेटिंग्स करता है। शरीर में लगा पेसमेकर धड़कन के धीरे या तेज होने पर या बैटरी खत्म होने पर इमरजेंसी संदेश भेजता है। पेसमेकर सैटेलाइट के जरिए यह संदेश मोडेम को भेजता है और मोडेम इस संदेश को डॉक्टर के कंप्यूटर पर भेज देता है। यह संदेश डॉक्टर के मोबाइल पर भी भेजा जाता है। इसी संदेश के आधार पर डॉक्टर मरीज या उसके परिजनों को फोन पर दवा लेने या अस्पताल ले जाने का परामर्श दे सकता है। 

क्या है पेसमेकर 

पेसमेकर ऐसा छोटा इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है, जो दिल की धड़कन को सही पेस (रफ्तार) में नियंत्रित करता है। यदि कोई व्यक्ति अनियंत्रित धड़कन की बीमारी (अरिद्मिया) का शिकार होता है तो उसे पेसमेकर लगाया जाता है। खासतौर पर उन लोगों को जो ब्रेडीकार्डिया (धीमी अनियंत्रित धड़कन) के मरीज होते हैं। अनियंत्रित धड़कनों के कारण शरीर के प्रमुख अंगों में खून का संचार सही नहीं हो पाता और वे बेकार हो सकते हैं। 

आंकड़ों को सेटेलाइट के जरिए डॉक्टर के कम्प्यूटर पर भेजा जाता है। 
आंकड़ों को देखकर डॉक्टर मरीज के दिल की धड़कनों की स्थिति पता लगाकर निगरानी रखता है। जरुरत पडऩे पर परामर्श देता है। 
मरीज के शरीर में लगा पेसमेकर दिल की धड़कनों के आंकड़े एक अन्य पोर्टेबल डिवाइस के जरिए सेटेलाइट सेंटर को भेजता है। 

9 -12 साल तक काम करता है पेसमेकर 

धीमी-अनियंत्रित धड़कन को कंट्रोल करता है 

नए पेसमेकर के लिए फिलहाल तीन जिलों में सैटेलाइट सेंटर स्थापित किए गए हैं। श्रीगंगानगर, अलवर और सीकर जिले के मरीजों के ऐसे पेसमेकर अपना डाटा मोडेम को सैटेलाइट के जरिए भेजते हैं। वहीं, एक अन्य डिवाइस पेसमेकर टेलीमीट्री मोनीटर के जरिए भी डाटा डॉक्टर को भेजा जा सकता है। इमरजेंसी होने पर डॉक्टर को अलर्ट किया जाता है ताकि वह तुरंत इलाज की व्यवस्था कर सके। 

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