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सरकारी स्कूल में स्टाफ होता तो जिंदा होते बच्चे

मंगलवार को हुए हादसे के बाद से 45एलएलडब्ल्यू गांव में हर ओर सन्नाटा पसरा है। यहां के ग्रामीणों में सरकार और प्रशासन के प्रति गुस्सा है। ग्रामीणों का कहना है कि गांव के सरकारी स्कूल में पर्याप्त स्टाफ होता तो उनके बच्चे शायद जिंदा होते। गांव के लाधूराम के परिवार के चार बच्चे इस हादसे में मारे गए, वहीं गांव के ही नत्थूराम के इकलौते बेटे की भी मौत हो गई। ग्रामीणों ने बताया कि गांव में आठवीं तक का एक सरकारी विद्यालय है, जो संस्कृत शिक्षा विभाग से संबद्ध है। कहने को यहां पांच टीचर्स के पद सृजित हैं लेकिन अभी यहां एक ही टीचर लालाराम कार्यरत है। यही टीचर बीएलओ का काम भी देखता है। चार टीचर्स को व्यवस्था में अन्यत्र लगा रखा है। एक विद्यार्थी मित्र है, जिसके हवाले आठ कक्षाएं हैं। 
आए दिन रहता है स्कूल पर ताला 
गांव के जोतराम ने बताया कि स्कूल का एकमात्र टीचर सरकारी कामों में उलझा रहता है। स्कूल के सरकारी कामों के लिए आए दिन उसे शहर जाना पड़ता है। ऐसे में स्कूल में ताला जड़ा रहता है। बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिए ही परिजनों ने उन्हें बाहर पढऩे भेजा था। 



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