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स्कूल मान्यता नियमों में खेल मैदान की अनिवार्यता खत्म

नए स्कूलों के लिए मान्यता संबंधी नियमों में अब खेल मैदान की अनिवार्यता खत्म कर दी गई है। मगर इसके लिए स्कूल के आसपास के तीन किलोमीटर क्षेत्र में खेल मैदान अथवा पार्क का होना जरूरी है। शहरी क्षेत्र में पार्षद तथा गांवों में सरपंच या वार्ड पंच से विद्यालय के आसपास खेल मैदान होने का प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने पर शिक्षा विभाग अब स्कूल के लिए मान्यता आदेश जारी कर देगा। इससे पूर्व आरटीई नियमों के तहत निजी विद्यालयों को मान्यता लेने के लिए विद्यालय भवन के साथ पांच एकड़ क्षेत्र में खेल मैदान होने का दस्तावेज आवश्यक रूप से पेश करना होता था। इस नियम को पूरा करने में निजी स्कूलों के संस्था प्रधानों को परेशानी आ रही थी। इस पर शिक्षा विभाग ने मान्यता नियमों में शिथिलता देते हुए संशोधन आदेश जिला शिक्षा अधिकारी को भेजे हैं। शिक्षा निदेशक से संशोधित आदेश मिलने के बाद इन्हें संबंधित तहसीलों के बीईओ को भिजवा दिया गया है। जिले में 540 माध्यमिक तथा उच्च माध्यमिक निजी विद्यालय हैं। इनमें से अधिकांश के पास खेल मैदान के लिए जमीन उपलब्ध नहीं है। 
आधा कर दिया क्षेत्रफल :
शिक्षा विभाग की ओर से जारी आदेश में नए स्कूलों को मान्यता देने की प्रक्रिया में कई तरह की छूट दी गई है। पूर्व के आदेश के अनुसार शहरी क्षेत्र में सेकंडरी और सीनियर सेकंडरी स्कूल भवन के लिए 2000 वर्ग मीटर क्षेत्र अनिवार्य था। मगर विभाग ने अब इसमें भी छूट दी है। नए शिक्षा सत्र से मान्यता नियमों के अनुसार इसे अब 1000 वर्गमीटर कर दिया गया है। इसी तरह ग्रामीण क्षेत्र में इसका क्षेत्रफल 8000 वर्गमीटर से घटाकर 5000 वर्गमीटर कर दिया गया है। 
मान्यता शुल्क में छूट 
गैर सरकारी शिक्षण संस्थाओं को शैक्षणिक सत्र 2013-14 में मान्यता शुल्क में भी छूट दी गई है। इस शिक्षा सत्र से माध्यमिक स्तर के लिए मान्यता शुल्क 10 हजार रुपए तथा आरक्षित कोष 50 हजार निर्धारित किया गया है। पूर्व में यह शुल्क क्रमश: 15 हजार तथा 80 हजार रुपए था। इसी तरह उच्च माध्यमिक स्कूल के लिए मान्यता शुल्क अब 15 हजार रुपए तथा आरक्षित कोष 70 हजार रुपए निर्धारित किया गया है। जो पहले क्रमश:30 हजार तथा एक लाख रुपए निर्धारित था। 

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