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'अब नही उठता धुंआ सुबह-शाम चूल्हों से'

पीलीबंगा | अखिल भारतीय साहित्य परिषद, श्री जय लक्ष्मी साहित्य कला एंव नाटक मंच के संयुक्त तत्वावधान में मंच के कला भवन में सोमवार को महाजन बीकानेर के युवा कवि डॉ. मदन गोपाल के हिंदी कविता संग्रह 'होना चाहता हूं जल' पर पाठक मंच  आयोजन हुआ। मुख्य अतिथि एडवोकेट जितेंद्र भलेरिया राजस्थान हाईकोर्ट, विशिष्ट अधिवक्ता अर्जुन सिंह नरुका व अर्जुन शर्मा एवं मुख्य वक्ता वरिष्ठ कवि निशांत थे। परिचर्चा की शुरूआत में कवि निशांत ने कहा कि मदन गोपाल विस्थापितों के कवि हैं। वे स्वयं भी पांच वर्ष गुजरात में रहे हैं उनकी पंक्तियां 'अब नही उठता धुंआ सुबह शाम चूल्हों से' मणेश गांव में विस्थापन की पीड़ा है। बलविंद्र भनौत ने कहा 'मरे नही हैं एक साथ शहीद हुए हैं व मरूधरा के चौतिस गांव एवं लेखक विजय बवेजा ने कहा कि काव्य संग्रह 'जल होना चाहता हूं' की भाषा सरल व सटीक है जो कि आम पाठक तक पहुंच सकी है संग्रह की कविता 'अब कहां है वह' पुस्तक की सर्वश्रेष्ठ कविता है जो एक बूढी मां की पीड़ा को बयान करती है। कवि हरिकृष्ण वर्मा ने संग्रह की कविता 'रंगों का इंद्रधनुष' व 'देखना एक दिन' को सराहा। नवदीप भनौत ने संग्रह की कविता 'गर सपने न होते तो मैं जरूर बेघर होता' पक्तियां सुनाकर घर की महत्ता को स्पष्ट किया व 'आज मन है घर बार की बात करंे' गजल सुनाकर वाही-वाही बटोरी। परिचर्चा में सुनील बिश्नोई, बिजेंद्र भलेरिया, जोगिंद्र सिंह अध्यापक, इकबाल सिंह, देवीलाल महिया, मोनिका शर्मा, मलकीत सिंह, गणेश जैन, ओम प्रकाश कालोया, सुरेन्द्र खटनाविलिया, श्याम पारीक आदि मौजूद थे। संचालन विजय बवेजा ने किया। परिचर्चा में कवियों ने काव्य पाठ किया। 

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