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छह वर्ष पहले कालीबंगा संग्रहालय से चोरी हुई हड़प्पा कालीन सामग्री का आज तक सुराग नहीं

कालीबंगा संग्रहालय से पुरा धरोहर चोरी होने के मामले में 'जमीन खा गई या आसमान निगल गया' की हालत रही है। संग्रहालय से छह वर्ष पहले चोरी हुई हड़प्पा कालीन पुरा सामग्री का पुलिस आज तक सुराग नहीं लगा पाई है। अब पुलिस ने जांच बंद कर कार्रवाई स्थगित कर दी है। इससे अब पुरा सामग्री वापस मिलने की आस धूमिल हो गई है।

कालीबंगा संग्रहालय से 21 जनवरी 2006 को पुरा अवशेष 'टेराकोटा फ्रेम व व्हील' जिसे सामान्यत: बैलगाड़ी कहा जाता था, चोरी हो गई। इस संबंध में संग्रहालय प्रबंधन ने पीलीबंगा थाने में मामला दर्ज कराया लेकिन पुलिस डेढ़ वर्ष माथापच्ची के बाद भी चोर का सुराग नहीं लगा सकी। चोरी हुई सामग्री का भी पता नहीं लगा। आरटीआई कार्यकर्ता प्रवीण मेहन ने संग्रहालय प्रबंधन से जब ताजा स्थिति पूछी तो पता चला कि पुलिस ने 22 जून 2007 को ही मामले में एफआर लगाकर कार्यवाही स्थगित कर दी। इस प्रकार अब जांच बंद है तथा पुरा सामग्री मिलने की कोई संभावना नहीं बची।

पुरातत्व विभाग व कालीबंगा संग्रहालय पुरा अवशेषों की कोई कीमत तय नहीं करता। उनके अनुसार पुरातत्व सामग्री अनमोल है। जानकारों के अनुसार कालीबंगा संग्रहालय से चोरी बैलगाड़ी की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में लाखों रूपए है जो इसकी चोरी की प्रमुख वजह रही। इसके तार पुरा अवशेषों की तस्करी करने वाले गिरोह से जुड़े हो सकते हैं।

348 हैं पंजीकृत
कालीबंगा संग्रहालय के सहायक अधीक्षक बृजराज सिंह के अनुसार संग्रहालय के रिकॉर्ड में 348 पुरावशेष पंजीकृत हैं। इनमे से एक की चोरी हो गई। शेष संग्रहालय में सुरक्षित हैं। इनमें मृदभांड, मूर्तियां, मणके, मिट्टी की चूडियां, तांबे की वस्तुएं, सिलखड़ी, तामड़ा पत्थर, शंख से बनी वस्तुएं, पाषाण के बाट व माप शामिल हैं।

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