मदद को उठे हाथ
'पत्रिका' ने सेनादेवी के पीड़ा का समाचार 23 फरवरी को अपने अंक में 'पढ़ाई तो दूर रोटी के लाले' शीर्षक से प्रमुखता से प्रकाशित किया था। इसे पढ़कर प्रशासन व ग्रामीण मददद के लिए आगे आए। उपखण्ड अघिकारी को सेनादेवी ने बताया कि वह यहां मजदूरी करने के लिए अपने बच्चों के साथ रहती है। उसका स्थाई आवास वार्ड 30 हनुमानगढ़ में है।
उसने बताया कि पति की मौत के बाद परिवार को किसी भी तरह की कोई सरकारी सहायता नहीं मिली। सेनादेवी के शिकायत करने तथा उपखण्ड अघिकारी के निर्देश पर पंचायत सचिव सुखदेव सिंह सिंगाठिया ने एक दिन पूर्व तैयार किए मृत्यु प्रमाण पत्र को मौके पर ही उसके सुपुर्द किया। इधर, उपखण्ड अघिकारी ने बताया कि मृतक हनुमानगढ़ का रहने वाला था। इसके चलते आर्थिक सहायता भी वहीं से ही मिलेगी।
मदद को उठे हाथ
पत्रिका में प्रकाशित खबर को पढ़कर स्थानीय नागरिक पीडित परिवार की मदद में आगे आते हुए राशन, दूध व अन्य प्रकार से सहायता की।
स्कूल से दूर
सात बच्चों की मां सेनादेवी की एक बेटी व एक बेटे का विवाह हो चुका है। इसके अलावा शेष पांच बच्चों में से केवल सात वर्षीय बेटी ही स्कूल जाती है। शेष चार ने कभी स्कूल का मुंह नहीं देखा।
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