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दक्षिण तक रेल हो तो चावल की बल्ले-बल्ले

हनुमानगढ़। जिला चावल उत्पादन में अग्रणी है पर इसे यहां से दक्षिणी राज्यों तक पहुंचाने के लिए रेल के सहारे की जरूरत है। जिले में घग्घर बैड में तलवाड़ा से पीलीबंगा तहसील के लम्बे-चौड़े क्षेत्र में चावल का भरपूर उत्पादन होता है। यहां होने वाले बासमती व गैर बासमती चावल की अघिक खपत दक्षिणी राज्यों में है पर वहां तक परिवहन का साधन सड़क है जो काफी महंगा व जोखिम भरा है। अगर यहां से दक्षिणी राज्यों तक रेल की लोडिंग सुविधा मिल जाए तो चावल की खेती व व्यापार को प्रोत्साहन मिल सकता है। जिले में बासमती व गैर बासमती चावल की कई किस्मों की पैदावार होती है। इसे स्थानीय मिल मालिक खरीदते हैं पर वे बिक्री के लिए हरियाणा के व्यापारियों पर निर्भर हैं। वे इसी चावल को दक्षिणी राज्यों में ऊंचे दामों पर बेचते हैं।

महंगा सफर कोçच्च तक  
यहां से चावल कोçच्च व दक्षिणी राज्यों तक जाता है। हनुमानगढ़ दक्षिणी राज्यों तक सीधी रेल व लोडिंग सेवा से जुड़ जाए तो यहां का चावल कम खर्च मेें सुरक्षित दक्षिण तक पहुंच सकेगा। इससे व्यापारी को लाभ मिलेगा व किसानों को अच्छा दाम मिल सकेगा।

स्थानीय व्यापारियों को चावल या अन्य उत्पादन दक्षिणी राज्यों तक भेजने के लिए एक या दो रेल डिब्बों की बुकिंग सुविधा नहीं मिलती। पूरे रैक की बुकिंग करानी अनिवार्य है। इसलिए व्यापारी रेल से चावल दूर राज्यों में नहीं भेज पाते। इस कारण स्थानीय व्यापारी अपना उत्पादन हरियाणा के बड़े व्यापारियों को औने-पौने दाम बेचने पर विवश हैं।

बासमती की खूब पैदावार
जिले में पूसा बासमती नंबर एक व पूसा 1121 किस्म बासमती चावल की पैदावार। दोनों निर्यात वाली किस्में। गैर बासमती में पीआर 103, पीआर 106, पीआर 111, पीआर 114, पीआर 118 किस्मों की पैदावार भी खूब।

 'यहां के बासमती चावल का बड़ा बाजार दक्षिणी राज्यों में है। हनुमानगढ़ को दक्षिण से सीधे रेल सेवा से जोड़ा जाए तो खूब लाभ मिलेगा। इससे क्षेत्र व किसान खुशहाल होंगे।'
-श्यामसुंदर झंवर, जिन्स ब्रोकर, हनुमानगढ़ जंक्शन।

 'दक्षिण तक सीधी रेल व लोडिंग सुविधा मिल जाए तो मिल मालिकों व किसान सबके लिए लाभदायक होगा।'
अमृतलाल सिंगला, अध्यक्ष, राइस मिलर्स एसोसिएशन हनुमानगढ़

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