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नाले के निर्माण पर उठने लगे सवाल

पीलीबंगा. गौशाला परिसर के सामने निर्माणाधीन
नाले का फैला कीचड़।
 
कस्बे में गंदे पानी की निकासी के लिए बनाए जा रहे नाले की परतें अभी से उखडऩी शुरू हो गई है। दिल्ली की टीसीआईएल कंपनी करीब 90 लाख रुपए की लागत से पत्रकार मार्ग पर ये नाला बनवा रही है। गौरतलब है कि नाले के निर्माण में प्रयुक्त होने वाली ईंटों व निर्माण सामग्री को लेकर अधिशासी अधिकारी व एसडीएम से वार्डवासियों ने शिकायत भी की थी। उन्होंने शिकायत में बताया था कि नाले की सतहों व दीवारों पर बड़ी-बड़ी दरारें आने लगी हैं। हैरानी की बात तो यह है कि इससे पास के मकानों को भी खतरा मंडरा रहा है। उल्लेखनीय है कि करीब 5 फीट गहरे व 4 फीट चौड़े नाले को मकानों की नींवों से सटाकर बनाया गया है। जबकि वार्ड के लोगों ने इस नाले को मकान की दीवारों से करीब 2 फीट दूर बनाने की गुहार भी की थी। 

बदहाली : बनने से पहले ही उखडऩे लगा नाला, नागरिकों ने की कार्रवाई की मांग 

वार्डवासियों ने जताया विरोध : गंदे पानी के नाले के निर्माण को लेकर वार्ड चार व छह के लोग आक्रोशित है। उनका कहना है कि जब से नाले का निर्माण शुरू हुआ है। तब से वार्डवासियों को मानसिक एवं आॢथक रूप से परेशानी झेल रही है। गौशाला मार्ग नाले के निर्माण की वजह से गत 15 दिनों से दलदल बन गया है। इस संबंध में वार्डवासियों ने कई बार ठेकेदार से आग्रह भी किया, लेकिन अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई। 

पालिका प्रशासन मुकरा 
गंदे पानी के नाले में आई दरारों के सवाल को लेकर जब पालिका ईओ संतलाल मक्कड़ से बात की तो उन्होंने कहा कि इसके निर्माण में पालिका प्रशासन का कुछ लेना-देना नहीं है। क्योंकि इसका निर्माण दिल्ली की टीसीआईएल कंपनी द्वारा करवाया जा रहा है। इसकी प्रक्रिया सीधे स्वायत्त शासन विभाग, जयपुर द्वारा जारी की गई है। 

जांच की मांग 
करीब 90 लाख रुपए की लागत से 1300 मीटर लंबे इस गंदे पानी के नाले के निर्माण में प्रयुक्त निम्न स्तर की घटिया निर्माण सामग्री को लेकर कस्बे के कई संगठनों ने इसकी उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। वहीं भारतीय किसान संघ सहित कई संगठनों ने उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका लगाने का भी फैसला किया है। वहीं कुछ जागरूक लोगों ने नाले में आई दरारों की फोटो को स्वायत्त शासन विभाग जयपुर को भेजकर इसकी जांच करवाने व संबंधित एजेंसी को किसी भी प्रकार का भुगतान न करने की मांग की हैं। 

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