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श्री अमृतवाणी सत्संग, प्रवचन एवं नाम दीक्षा कार्यक्रम

पीलीबंगा | क्रोध मानव के विवेक को भ्रमित कर देता है और बड़े-छोटे की पहचान भुला देता है। ये बात मंगलवार को श्री राम शरणम् आश्रम ट्रस्ट, नई दिल्ली के डा.विश्वामित्र जी महाराज ने अपार जनसमूह को संबोधित करते हुए कही। श्री राम शरणम् परिवार पीलीबंगा द्वारा महाराज जी के आगमन पर गांधी स्टेडियम में आयोजित श्री अमृतवाणी सत्संग, प्रवचन एवं नाम दीक्षा कार्यक्रम में उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए महाराज ने गीता जयंती के अवसर पर गीता में बताए गए गूढ़ रहस्यों पर विस्तार पूर्वक रोशनी डाली और गीता के अनुसार मनुष्य को कर्म प्रधान जीवन जीने की सीख दी। दोपहर 2 से 4 बजे तक आयोजित इस कार्यक्रम की शुरुआत श्री अमृतवाणी पाठ से की गई। तत्पश्चात महाराज ने अपने प्रवचनों में श्रद्धालुओं को संतों के बताए मार्गों का जीवन में अनुसरण करने का आह्वान करते हुए कहा कि जीवन में पूर्णतया तभी आती है जब मनुष्य अपने जीवन में पढ़ी व सुनी गई अच्छी बातों को ग्रहण करें। उन्होंने बताया कि मात्र राम-नाम ही एक ऐसा माध्यम था,जिसने मोहनदास कर्मचंद गांधी जैसे गृहस्थ आदमी को महात्मा की सबसे बड़ी संज्ञा दिलवाई। इसलिए मनुष्य को हर पल का सदुपयोग करते हुए राम-नाम का सुमिरन अपने इष्ट देवताओं व गुरुजनों का ध्यान करते हुए करते रहना चाहिए। समापन पर सभी नव दीक्षार्थियों को श्री राम शरणम् परिवार की तरफ से माला, श्री अमृतवाणी पुस्तिका आदि भेंट की गईं। 
गीता जयंती के अवसर पर मंगलवार को गीता भवन कमेटी द्वारा गीता भवन प्रांगण में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। कमेटी प्रवक्ता के अनुसार इस दौरान कस्बे में गीता जी की शोभा यात्रा निकाली गई। जो गीता भवन प्रांगण से प्रारंभ होकर नगर के मुख्य मार्गों से होती हुई वापस गीता भवन पहुंची। शोभा यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं ने इच्छानुसार कमेटी को आॢथक सहयोग देकर प्रसाद ग्रहण किया। 

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