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एसडीएम झुके, मान गए वकील

पीलीबंगा व रावतसर में वकीलों ने बुधवार को आंदोलन का बिगुल बजा दिया। वकीलों के तेवर को देखते हुए पीलीबंगा एसडीएम करतार सिंह मीणा आखिरकार झुके और उन्होंने स्पष्ट किया कि किसी के प्रति उनके मन में कोई दुर्भावना नहीं है। अधिवक्ताओं के साथ प्रशासन का संबंध मधुर होना चाहिए।इसके लिए वे हरसंभव प्रयास करते रहते हैं। फिर भी कोई गलतफहमी पैदा हुई जिसके लिए उन्हें खेद है।एसडीएम के इतना कहने पर वकीलों ने आंदोलन समाप्त करने की घोषणा कर दी।दूसरी ओर, रावतसर में एक न्यायिक मजिस्ट्रेट के स्थानांतरण की मांग को लेकर वकीलों ने बेमियादी धरना शुरू कर दिया।
पीलीबंगा बार संघ और एसडीएम करतार सिंह मीणा के बीच करीब डेढ़ माह से चला आ रहा गतिरोध बुधवार को दूर हो गया। बार रूम में न्यायिक अधिकारियों व वकीलों की संयुक्त बैठक हुई। इसमें गिले-शिकवे दूर किए गए। मुंसिफ न्यायिक मजिस्ट्रेट रामावतार सोनी ने कहा कि बार और बेंच में सामंजस्य रहने पर ही लोगों को राहत दिलाई जा सकती है। साथ कार्य करने से कई बार परिस्थितियों में परिवर्तन होता है लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि आपस की दूरी बढ़ती जाए। उन्होंने कहा कि मतभेद ठीक है लेकिन मनभेद की स्थिति ठीक नहीं।बार संघ जिलाध्यक्ष जितेंद्र सारस्वत ने कहा कि कुछ अरसे से अधिकारी जानबूझकर वकीलों के स्वाभिमान को ठेस पहुंचाने में लगे हैं।इसे सहन करना मुश्किल है। प्रशिक्षु आरजेएस अनामिका सहारण ने भी टकराव को टालने की आवश्यकता जताई।एसडीएम करतार सिंह मीणा ने कहा कि वे हमेशा वकीलों का सम्मान करते हैं। गलतफहमी पैदा होने से इस तरह के हालात पैदा हुए। पीलीबंगा बार संघ अध्यक्ष दलीप सिंह चौहान, पूर्व अध्यक्ष कुलदीप सोनी, करणी सिंह राठौड़, रामकुमार खीचड़, नंदराम धारणियां, दारा सिंह हुंदल, शैलेंद्र बिश्नोई तथा रघुवीर वर्मा आदि ने विचार व्यक्त किए।
‘बार और बेंच एक-दूसरे का पूरक’ 
समझौता वार्ता में वक्ताओं ने बार और बेंच को एक-दूसरे का पूरक बताया। एडवोकेट जितेंद्र सारस्वत ने कहा कि दोनों पक्षों में विश्वास की स्थिति बनी रहे इसके लिए मिलकर प्रयास करने की जरूरत है। एसडीएम ने कहा कि कभी कोई गलतफहमी हो तो उसे तत्काल दूर करना चाहिए। 

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