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तकनीक व ताकत का नजारा

इकबालपुर (पीलीबंगा)। रणभूमि में दुश्मन देश के सैनिकों ने मोर्चाबंदी कर ली है। भारतीय सेना की खड़गा कोर के जवान भी दुश्मन से आरपार की लड़ाई को तैयार हैं। भीषण गर्मी और लू के बावजूद जवानों के हौसले बुलंद हैं। उन्हें इंतजार है कमांडर के आदेश का। तब तक तो उनके धैर्य की परीक्षा होनी है। पीलीबंगा-रावतसर मार्ग पर पंडितावाली गांव के आसपास इकबालपुर नामक स्थान पर काल्पनिक युद्ध के लिए दस वर्ग किमी क्षेत्र में बनाई गई रणभूमि में सुबह 10.30 बजे कुछ ऎसा ही नजारा था।

रिपोर्टर राडार दुश्मन की हरकतों पर नजर रखते हुए पल-पल की खबर सैन्य अधिकारियों को देता है। हेलीकॉप्टर भी रणभूमि की रैकी करते हुए दुश्मन की गतिविधियों की टोह लेता है। उसकी उड़ान इतनी कम ऊंचाई पर होती है कि दुश्मन की राडार प्रणाली गच्चा खा जाती है। सूरज चढ़ने के साथ ही गर्मी व लू का असर बढ़ रहा है। जवान हमला करने को बेताब हैं।

टैंक और हेलीकॉप्टर भी उनकी मदद को तैयार हैं। अब इंतजार है तो सिर्फ इशारे का, जिसके मिलते ही जवान "विजयी भव" का शंखनाद करते हुए शत्रु पर टूट पड़ेंगे। ठीक इसी समय इकबालपुर से लगभग पचास किमी दूर सरदारगढ़ गांव के पास खड़गा कोर के आधार शिविर में बने वार रूम में सैन्य अधिकारी युद्ध की रणनीति बनाने में जुटे हैं।

अत्याधुनिक संचार प्रणाली से सुसज्जित वार रूम में रणभूमि से संबंधित सभी सूचनाएं उपलब्ध हैं। दुश्मन की ताकत पर मंथन करने के बाद सैन्य अधिकारी आक्रमण की रूपरेखा तैयार करते हैं। वार रूम के पास ही आईएसआर केन्द्र है, जहां तकनीकी एवं मानवीय सूचनाओं का विश्लेषण हो रहा है और इन्हें तत्काल ऑपरेशन कमाण्डर को दिया जा रहा है। पचास किमी दूर इकबालपुर में चल रही दुश्मन सेना की गतिविधियां इस केन्द्र में लगी बड़ी स्क्रीन पर साफ दिखाई देती है। यह सब सेटेलाइट तकनीक का कमाल है।

वार रूम से मिली सूचनाएं फोर्स कमांडर से होते हुए टास्क कमांडर तक पहुंचती है....और फिर इशारा होता है दुश्मन पर टूट पड़ने का। जमीन पर टैंक और आसमान से हेलीकॉप्टरों के हमले से शत्रु सेना में हड़कम्प मच जाता है। रणभूमि को रौंदते हुए टैंक आगे बढ़ते हैं तो मोर्चोü में बैठे दुश्मन देश के सैनिक पीठ दिखाकर भागने लगते हैं।

देखते ही देखते टैंक उनके मोर्चोü को ध्वस्त कर देते हैं। इसके साथ ही विजयी भव की कल्पना साकार हो उठती है। सैन्य अधिकारी ऑपरेशन पूरा होने पर एक-दूसरे को बधाई देते हैं। सैनिकों के चेहरों पर भी संतोष के भाव दिखाई देते हैं। महीने भर से चल रही उनकी सैन्य गतिविधियों का एक चरण पूरा हो जाता है।

तकनीक व ताकत का सम्मिश्रण
इकबालपुर. युद्ध अब अकेले ताकत से नहीं लड़ा जा सकता। इसमें तकनीक का साथ जरूरी है। तकनीक और ताकत का सम्मिश्रण हो जाए तो फिर दुश्मन के दांत खट्टे करने में समय नहीं लगता। अम्बाला स्थित खड़गा कोर के सैन्य अभ्यास का सार यही था। अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग कर बनाई गई रणनीति इतनी सटीक रही कि दुश्मन को संभलने का मौका ही नहीं मिला।

ब्रिगेडियर ए.के.झा व जी शंकर, कर्नल अतुल सूरी व टास्क कमाण्डर सुधीर बहल ने तकनीक और ताकत को वर्तमान युद्ध प्रणाली की आवश्यकता बताया। इन सैन्य अधिकारियों का कहना था कि तकनीक से युद्ध क्षेत्र का खाका तैयार किया जाता है और फिर उसी के अनुरूप लड़ाई लड़ी जाती है।
source: Patrika

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