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स्कूलों में चल रहा कमीशनखोरी के खेल: सरकार व प्रशासन पुरी तरह से विफल

पीलीबंगा। निजि शिक्षण संस्थानों में प्रत्येक वर्ष करीब 25 प्रतिशत तक बढ़ाई जा रही फीस पर अंकुश लगाने में जहां सरकार व प्रशासन पुरी तरह से विफल रहा है वहीं एनसीआरटी का पाठ्यक्रम लगवाने में भी स्कूल संचालकों की मनमर्जी के आगे बोना नजर आ रहा है। सरकारी तंत्र की विफलताओं के चलते लाखों अभिभावकों की जेब पर डाका पड़ रहा है। अभिभावकों ने बताया कि कस्बे में स्थित निजि शिक्षाण संस्थानों विशेषकर अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में नेश्नल कांउसिल फौर एजुकेशन एवं ट्रेनिंग (एनसीआरटी) की किताबें लागू करने के आदेश सरकार द्वारा स्पष्ट किये जा चुके है। लेकिन निजि स्कूल संचालकों व विभाग के उच्चाधिकारियों की मिलीभगत के चलते एनसीआरटी की बजाय प्राईवेट पब्लिशर्स की किताबें पढ़ाई जा रही है जिनके सैट का मुल्य 2500 रूपये से लेकर 6000 तक है। प्राईवेट पब्लिशर्स की किताबों में प्रकाशकों द्वारा अंकित मुल्य में 30 से 50 प्रतिशत तक कमीशन स्कूल संचालकों को दिया जाता है, जबकि अभिभावकों को अंकित मुल्य पर ही पुस्तके दी जाती है। जिससे स्कूल संचालकों व संबंधित दुकानदार के बीच कमीशनखोरी का खेल संचालित हो रहा है।

स्कुल ही बताते है कौनसी दुकान से ले किताबें

कमीशनखोरी के खेल में लिप्त स्कूल संचालक ही कस्बे की एक या दो दुकानों पर ही किताबें उपलब्ध करवाते है जिससे मजबूरी वश अभिभावकों को तयशुदा दुकान से ही अंकित मुल्य पर ही पुस्तक खरीदनी पड़ रही है अभिभावकों ने बताया कि कमीशन खोरी के खेल को लेकर शिक्षा विभाग के अधिकारियों सहित उच्च स्तर पर प्रतिवर्ष नए सत्र के दौरान ढेरों शिकायतें पहुंचने के बावजूद भी प्रभावी कार्रवाई नहीं हो पाती, जिससे अभिभावक स्वयं को ठगा सा महसूस करते है।
आरटीई के मापदण्ड नहीं हो रहे पुरे
कस्बे सहित ग्रामीण क्षेत्र में तहसील क्षेत्र के अन्तगर्त 61 निजी विद्यालय संचालित हो रहे है जिनमें से चार या पांच स्कूलों को छोड़कर एक भी निजी विद्यालय आरटीई के मानकों पर खरे नहीं उतर पा रहे है। आरटीई के नियमों के मुताबिक विद्यालय भवन के लिए शहरी क्षेत्र में एक हजार वर्ग मीटर व ग्रामीण क्षेत्र में तीन हजार वर्ग मीटर भूमि का होना आवश्यक है एवं इनके अलावा भी कक्षा कक्षों का साईज आगजनी की घटना से निपटने के लिए अग्नीशामक यंत्र व बच्चों की सुरक्षा हेतु अनेक मापदण्ड निर्धारित है। परन्तु तहसील क्षेत्र में अधिकांश स्कूलों में ना तो भवन के लिए भूमि पर्याप्त है एवं ना हीं अन्य मानक पुरे किये गए है इन सबके बावजूद महज 300 वर्ग मीटर के रिहायशी व तंग गलियों में निजी विद्यालय संचालित हो रहे है। स्थानीय कस्बे में भी आधा दर्जन माध्यमिक व उ.माध्यमिक स्तर के स्कूल संचालित हो रहे हैं जहां आगजनी या अन्य प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए गाड़ियों का पहुंच पाना असम्भव है। शिक्षा विभाग के अधिकारियों को सबकुछ मालूम होते हुए भी महज कागजी आंकड़े पूरे कर तमाम निमयों को ताक पर रखकर मान्यता प्रदान की गई है।
पुस्तकों पर 50 प्रतिशत छूट दिलाने की मांग का सौंपा ज्ञापन
पीलीबंगा| निजी स्कूलों की पुस्तकें 50 प्रतिशत छूट सहित उपलब्ध करवाने की मांग करते हुए नगर के नागरिकों ने बुधवार को एसडीएम को एक ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन के अनुसार निजी अंग्रेजी माध्यम विद्यालय की पुस्तकों पर अंकित मूल्य 50 प्रतिशत छूट सहित अंकित होता है। ये पुस्तकें निर्धारित दुकानों पर ही उपलब्ध हैं। ज्ञापन के अनुसार दुकानदारों द्वारा 20 प्रतिशत छूट देकर ही बेचा जा रहा है। चूंकि ये पुस्तकें अन्य दुकानों पर नहीं मिलती हैं इसलिए ग्राहकों को संबंधित दुकानों से ही पुस्तकें खरीदनी पड़ती हैं। यदि ग्राहक को एक या दो किताबें खरीदनी होती हैं तो उसे किताबों का पूरा सैट दिया जाता है। विक्रेताओं द्वारा इन किताबों पर 20 प्रतिशत ही छूट दी जाती है जिससे निजी स्कूलों में सरकार द्वारा निशुल्क प्रवेशित बच्चों के परिजन इन महंगी किताबें खरीदने में असमर्थ हैं। 50 प्रतिशत छूट की मांग की है। 

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