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आचार्य तुलसी का 103 वां जन्मोत्सव मनाया

पीलीबंगा : आचार्य श्री महाश्रमण की आज्ञानुवर्ती  सुशिष्या साध्वी श्री जयप्रभा जी  के सानिध्य में महान वक्तित्व के धनी आचार्य तुलसी का 103 वां जन्मोत्सव अणुव्रत दिवस के रूप में मनाया गया | आचार्य तुलसी महामानव थे | उन्होंने इस धरती पर जन्म लेकर जन-जन को नैतिकता का सन्देश दिया | भगवान महावीर ने दो प्रकार के धर्म की प्रभावना की | आचार्य तुलसी ने इसे युगीन भाषा में प्रस्तुत कर जैन धर्म को जन-जन का धर्म बनाने का प्रयास किया | आचार्य तुलसी के शब्दों में – अणुव्रत है अपने द्वारा अपना अनुशासन | आत्म संयम, आत्मानुशासन या संकल्प निष्ठा से अणुव्रत जीवन में आता है | हम अणुव्रत को स्वयं गहराई से समझे जीवन में उतारकर एक आदर्श श्रावक के रूप में अपनी पहचान बनाये | तभी यह अणुव्रत दिवस मनाना सार्थक होगा | – ये उदगार साध्वी जयप्रभा जी ने धर्म सभा को संबोधित करते हुए फरमायें | कार्यक्रम का प्रारंभ मालचंद पुगलिया ने मंगलाचरण से किया | इस कार्यक्रम में वरिष्ठ वक्ता प्रेम नाहटा, देवेन्द्र बांठिया, ज्ञानशाला प्रभारी ओमजी पुगलिया एवं श्रीमति बिंदु देवी दुगड़ ने आचार्य तुलसी के व्यक्तित्व कर्तव्य एवं अणुव्रत की उपयोगिता के बारे में अपने विचारों की प्रस्तुति दी | श्री मति विनोद देवी छाजेड ने मधुर गीत का संगान किया | साध्वी कान्तप्रभाजी ने कार्यक्रम का संचालन किया |

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