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दम्पति - कार्यशाला का आयोजन जैन भवन में किया गया



पीलीबंगा | तेरापंथ महिला मंडल के तत्वध्यान में अखिल भारतीय महिला मंडल द्वारा निर्देशित दम्पति - कार्यशाला का आयोजन शांतिदूत आचार्य श्री महाश्रमण की आज्ञानुवर्ती साध्वी श्री जयप्रभा जी के सानिध्य में स्थानीय जैन भवन में किया गया |इसमें  35 जोडों ने एवं लगभग 100 लोगो ने भाग लिया।
कार्यक्रम का प्रारम्भ श्री देवन्द्र बांठिया और श्रीमती सिंपल बांठिया के द्वारा मंगलाचरण द्वारा किया गया |  
साध्वी श्री जयप्रभा जी ने अपने मंगल उदबोधन में जोडों को प्रेरणा देते हुए फरमाया कि " वर्तमान में दांपत्य जीवन में आधुनिक जीवन शैली, मोबाइल इंटरनेट के बढ़ रहे प्रचलन से दरारें बढ़ती जा रही है | सुखी दांपत्य जीवन जीना  एक स्वप्न जैसा होने लगा है, वहीं लगातार बढ़ रही तलाक की संख्या बहुत बड़ी चिंता का विषय है |

हम जानते हैं - सुखी दांपत्य जीवन स्वस्थ परिवार के निर्माण की आधारशिला है- पारिवारिक सामंजस्य व संस्कारों की सुरक्षा हेतु दंपत्ति शिविरों का आयोजन महत्वपूर्ण व सराहनीय कदम है |
सफल व सुखी जीवन के सूत्रों को बताते हुए साध्वी श्री ने फरमाया कि -
  1. जीवन में  सहिष्णुता व सामंजस्य का विकास होना चाहिए
  2. स्वयं की ego को कहें let's go |
  3. जीवनसाथी को Quality समय देना |
  4. एक दूसरे को समझने का प्रयास करना चाहिए |
  5. एक दूसरे के विचारों को सम्मान प्रदान करना |
  6. सकारात्मक सोच - सॉरी थैंक्स प्लीज का प्रयोग हो |
इन सबके साथ-साथ समर्पण व शांत सहवास सुखी जीवन का आधार है, साथ ही सफल दंपत्ति  को अपने भीतर आग्रह की  प्रवर्ती को छोड़ना चाहिए| साध्वी श्री ने उपस्थित दंपत्तियों को उक्त सूत्रों को जीवन में अपनाने की सलाह दी|"  
साध्वी श्री कांतप्रभाजी ने गीतिका के द्वारा, श्रीमति पुष्पा नाहटा, श्री ओमप्रकाश जी पुगलिया ने अपने विचार प्रस्तुत किए |
श्रीमती प्रतिभाजी  दुगड़ ने " आज के युग में दाम्पत्य जीवन में आ रही समस्या एवं समाधान" विषय पर  खुला प्रश्न मंच का संयोजन किया | दांपत्य जीवन को सुखी बनाने का एक सूत्र है - अनाग्रह चेतना का विकास। समन्वय,सामंजस्य, संवेदनशीलता, सहनशीलता आदि गुणों को अपनाकर सुखी जीवन जिया जा सकता है।
16 वें आंचलिक श्रावक सम्मेलन में 14 अगस्त को श्रीगंगानगर पहुंचने का अधिक से अधिक संख्या में आने के लिए निमंत्रण देने आएअध्यक्ष श्री भोजराज जी जैन,श्री चंद्रेश जी बोरड एवं श्री राजेन्द्रजी जैन  ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई | श्री जसकरण जी बांठिया एवं श्री हनुमान जी जैन ने उनका साहित्य देकर सम्मान किया |
कार्यक्रम में प्रश्नोत्तरी के माध्यम से सफल  दंपत्ति के रुप में मूलचंद जी बांठिया व श्रीमती विनोद बांठिया तथा श्री सतीश पुगलिया व श्रीमती प्रेम पुगलिया को महिला मंडल द्वारा सम्मानित किया गया |
कार्यक्रम में तेयुप कार्यकर्ताओं ने सहयोग प्रदान किया | कार्यक्रम का संचालन प्रीति डाकलिया एवं अनिल डाकलिया ने किया |
विभिन्न प्रश्न व उत्तर के माध्यम से निष्कर्ष के रूप में यह विचार सामने आए कि दंपति जीवन को सुखी बनाने का सूत्र है अनाग्रह चेतना का विकास | समन्वय,सामंजस्य, संवेदनशीलता, सहनशीलता आदि गुणों को अपनाकर सुखी जीवन जिया जा सकता है |
तेरापंथ महिला मंडल की अध्यक्ष श्रीमती सायर बांठिया ने सभी का आभार जताया |


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