खुलेआम बिक रहे हैं हानिकारक कंफैक्शनरी आइटम
मैगी पर बैन लगने और अन्य नूडल्स की सैंपलिंग के बाद भी बच्चों के स्वास्थ्य पर मंडरा रहा खतरा कम नहीं हुआ है। असली खतरा विदेशों से रही कंफैक्शनरी आइटम्स से है। मैगी पर बैन लगाने की मुख्य वजह यह थी कि उसकी पैंकिग पर मोनो सोडियम ग्लूटामेट डालने का जिक्र होना था लेकिन विदेश से रही कंफैक्शनरी आइटम्स पर तो उत्पादक एक्सपायरी आदि का भी जिक्र तक नहीं है। कुछ पैकिंग्स पर सूचना छपी है तो वह चीनी या अरबी भाषा में है, जोकि नियमों का खुला उल्लंघन है। जानकारी के मुताबिक इन उत्पादों को स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक मानते हुए बैन लगाया जा चुका है लेकिन बाजारों में यह प्रोडक्ट धड़ल्ले से बिक रहे हैं। खास बात यह है कि बसों में कंडेक्टर भी खुले पैसों की जगह दी इसी प्रकार की कैंडीज दे रहे हैं। जानकारों के मुताबिक यह उत्पाद मुख्य तौर पर चीन से आयात होते हैं लेकिन सख्ती होने के बाद अब अन्य देशों के रास्ते भी मंगवाए जा रहे हैं।
यहउत्पाद हैं शामिल
जिलामुख्यालय पर बड़े कंफेक्शनरी स्टोर्स में में चीन से आयातित चॉकलेट, कैंडी, च्यूइंग गम, चॉकलेट आदि बिक्री हो रही है। इनकी पैंकिंग भी स्थानीय उत्पादों से बेहतर है और बच्चे देखते ही खरीदने की जिद करते हैं। इनकी बिक्री से व्यापारियों को भी फायदा है क्योंकि इनका थोक मूल्य देश में बन रही कंफेक्शनरी आइटम्स से करीब 50 प्रतिशत तक कम है। व्यापारियों के मुनाफे की सजा आम आदमी खासतौर पर बच्चों को भुगतनी पड़ रही है। उधर, नाम छापने की शर्त पर दुकानदार कहते हैं कि इन उत्पादों की बिक्री के लिए वे जिम्मेदार नहीं हं बल्कि इन्हें आयात करने वालों पर कार्रवाई होनी चाहिए।
" दुकानदार भाइयो "सुधरे व्यक्ति , समाज व्यक्ति से , राष्ट्र स्वयं सुधरेगा " की भावना होनी चाहिए , न की पहले सामने वाला सुधरे फिर हम !! अगर आप लोग हानिकारक उत्पाद रखना बंद करने की (खासकर बच्चों के उत्पाद) जिद कर ले तो आयात करने वालो को भी सोचना पड़ेगा "
एक गुजारिश माता-पिता से भी है , वो लोग भी जागरूक रहे , अपने बच्चों के बारे में भी और स्वयं अपने लिए भी खासकर खाने - पीने के उत्पादों को लेकर |
-- www.pilibanga.com
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जिलामुख्यालय पर बड़े कंफेक्शनरी स्टोर्स में में चीन से आयातित चॉकलेट, कैंडी, च्यूइंग गम, चॉकलेट आदि बिक्री हो रही है। इनकी पैंकिंग भी स्थानीय उत्पादों से बेहतर है और बच्चे देखते ही खरीदने की जिद करते हैं। इनकी बिक्री से व्यापारियों को भी फायदा है क्योंकि इनका थोक मूल्य देश में बन रही कंफेक्शनरी आइटम्स से करीब 50 प्रतिशत तक कम है। व्यापारियों के मुनाफे की सजा आम आदमी खासतौर पर बच्चों को भुगतनी पड़ रही है। उधर, नाम छापने की शर्त पर दुकानदार कहते हैं कि इन उत्पादों की बिक्री के लिए वे जिम्मेदार नहीं हं बल्कि इन्हें आयात करने वालों पर कार्रवाई होनी चाहिए।
" दुकानदार भाइयो "सुधरे व्यक्ति , समाज व्यक्ति से , राष्ट्र स्वयं सुधरेगा " की भावना होनी चाहिए , न की पहले सामने वाला सुधरे फिर हम !! अगर आप लोग हानिकारक उत्पाद रखना बंद करने की (खासकर बच्चों के उत्पाद) जिद कर ले तो आयात करने वालो को भी सोचना पड़ेगा "
एक गुजारिश माता-पिता से भी है , वो लोग भी जागरूक रहे , अपने बच्चों के बारे में भी और स्वयं अपने लिए भी खासकर खाने - पीने के उत्पादों को लेकर |
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