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श्रमिक की मौत, अफसरों के पहुंचने पर साथियों ने लगाया धरना, रात को मुआवजे के बाद माने

पीलीबंगा

औद्योगिकक्षेत्र में सीसीआई की ओर से किराए पर लिए गए गोदाम से रुई की गांठें लोड करते समय गुरुवार सुबह एक श्रमिक की गांठ के नीचे दबकर मौत हो गई। मामले की कई घंटे तक सीसीआई प्रशासन के अधिकारियों ने सुध नहीं ली। इसको लेकर श्रमिक नाराज हो गए और मुआवजे की मांग को लेकर सरकारी अस्पताल के बाहर धरना लगा दिया। श्रमिक बोले- जब तक मांग पूरी नहीं होगी, शव नहीं उठने देंगे। दिनभर धरने के बाद शाम 6 बजे एसडीएम कन्हैयालाल सोनगरा, तहसीलदार सुरेश कुमार राव, नायब तहसीलदार मनीराम खीचड़ अन्य अधिकारी मौके पर पहुंचे और वार्ता करने को कहा। गुस्साए श्रमिकों ने वार्ता करने से इंकार कर दिया। हालांकि कुछ श्रमिक नेताओं के मानने पर वार्ता शुरू हुई। काफी देर तक वार्ता सिरे चढ़ने पर श्रमिकों ने शुक्रवार को जुलूस निकालकर हनुमानगढ़-सूरतगढ़ फोरलेन मार्ग पर चक्काजाम करने की चेतावनी दी। करीब रात आठ बजे समझौता हुआ। इसमें फैक्ट्री एसोसिएशन, मजदूर यूनियन, व्यापार मंडल ने 50-50 हजार रुपए और उपखंड अधिकारी ने 50 हजार रुपए मुख्यमंत्री राहत कोष से दिलाने आश्वासन दिया। इसके बाद श्रमिक माने। पुलिस ने घटना को लेकर मर्ग दर्ज कर ली। शुक्रवार को शव का पोस्टमार्टम कराकर अंतिम संस्कार किया जाएगा। 
बिहार के पूर्णिया जिले के रौता थाना क्षेत्र के गांव जगदल का निवासी उमेन मंडल (40) पुत्र अमीलाल मंडल सुबह सीसीआई द्वारा औद्योगिक क्षेत्र में किराए पर लिए गए एक गोदाम से अपने साथी मजदूरों के साथ रूई की गांठें उठाकर ट्रक में लोड करवा रहा था। एक गांठ उठाते वक्त उसका पांव फिसलने से रूई की करीब दो क्विंटल भारी गांठ उसके ऊपर गिरी। इससे उसके सिर में गंभीर चोटें आईं। साथ काम कर रहे श्रमिकों ने उसे तुरंत सरकारी अस्पताल पहुंचाया, जहां उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई। डॉक्टरों ने बताया कि गांठ के भारी वजन से उमेन के सिर में करीब पांच जगह फ्रैक्चर होने से उसकी मौत हो गई। श्रमिक की मौत की सूचना मिलते ही सभी श्रमिक संगठनों के पदाधिकारी सदस्य सरकारी अस्पताल पहुंचे और मृत श्रमिक के परिजनों को मुआवजा देने की मांग करते हुए शव उठाने से मना दिया और अस्पताल के बाहर ही धरना लगकर बैठ गए। 
रात आठ बजे तक हुई वार्ता में 2 लाख रुपए मुआवजे पर बनी बात 
छह बेटियों एक लड़के के सिर से उठा पिता का साया 
छोटेभाई राजू ने बताया कि मृतक भाई के 6 बेटियां और एक लड़का है। बड़ी दो लड़कियां शादी करने योग्य हो गईं। वह उसका भाई गांव छोड़कर यहां मजदूरी कर उनकी शादी के लिए कुछ रुपए एकत्रित करने आए थे, लेकिन इस घटना के बाद तो भाई के बच्चों की जिम्मेदारी भी उसी पर गई। ऐसे में उसके सामने अपने परिवार के भरण-पोषण का संकट पैदा हो गया है।

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