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जो आत्मा को शुद्ध बनाए वही धर्म: आचार्य महाश्रमण

हनुमानगढ़. जो आत्मा को शुद्ध बनाए वही धर्म है। धर्म की प्राप्ति के लिए नैतिकता के मार्ग पर चलना चाहिए। यह बात आचार्य महाश्रमण ने 'भास्कर' से बातचीत में कही। शनिवार को जंक्शन के निकट गांव जंडावाली स्थित एक निजी कॉलेज में पहुंचे आचार्य महाश्रमण ने कहा कि वे अंहिसा यात्रा पर निकले हैं, जो दिल्ली से शुरू होगी। इसका उद्देश्य नशा मुक्ति और सद्भावना का प्रचार करना है। भाग-दौड़ भरी जिंदगी में संयम के सही मूल मंत्र के बारे में उन्होंने कहा कि अपने से अपना अनुशासन ही सही मायने में संयम है। उन्होंने कहा कि समाज में कई तरह की विकृतियां हैं उनका सामना कर उन्हें दूर करना और हिंसात्मक गतिविधियों को कम करना संयम से ही संभव है। आचार्य ने कहा कि एक देश यदि परमाणु बना रहा है और दूसरा ना बनाए तो ये गलत है। देश के लिए यह जरूरी है। 2010 से आचार्य महाश्रमण की पदवी संभाल रहे आचार्य ने कहा कि यदि इस तरह की दिनचर्या और इस तरह की शैली को अपनाना है तो अणुव्रत के नियमों को स्वीकार कर लें। 

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