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सरसों की पैदावार बढ़ाने से घटेगा तेलों का आयात

राज्य में सरसों की पैदावार बढ़ाने से देश में खाद्य तेलों का आयात कम होगा। तेल रहित खल (डीआयल्ड् केक) का निर्यात बढ़ेगा, जिससे विदेशी मुद्रा की बचत होगी। ज्ञात रहे वर्तमान में राजस्थान अकेला ऐसा प्रदेश है, जहां करीब 38 लाख टन सरसों पैदा होती है। पूरे देश में इस साल 68 लाख टन सरसों पैदावार का अनुमान है। राजस्थान ऑयल इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के संयुक्त सचिव डी.डी. जैन कहते हैं कि राज्य सरकार को इस संबंध में निरंतर ज्ञापन दिए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री चाहते भी हैं, लेकिन सरकारी स्तर पर कहां रुकावट है, समझ नहीं आता। 

क्या है बुआई का गणित

राज्य के कुल क्षेत्रफल 350 लाख हेक्टेयर में से करीब 200 लाख हेक्टेयर जमीन बुआई योग्य है। इसमें से 25 से 35 लाख हेक्टेयर पर सरसों की बुआई होती है, जबकि लगभग 125 लाख हेक्टेयर बिजाई योग्य क्षेत्रफल खाली पड़ा हुआ है। इसमें भी 70 लाख हेक्टेयर भूमि सरसों की बिजाई के लिए उपयुक्त है। जैन ने बताया कि सरसों उत्पादक प्रदेश घोषित करके किसानों को विशेष पैकेज दिया जाए, तो राजस्थान में तीन गुना अर्थात 100 लाख टन सरसों पैदा की जा सकती है। 

मध्य प्रदेश का उदाहरण देखिये 

वर्ष 1993 में मध्य प्रदेश को सोयाबीन प्रदेश घोषित किया गया। आज अकेले एमपी में तकरीबन 70 लाख टन सोयाबीन का उत्पादन होता है। पूरे देश में सोयाबीन का कुल उत्पादन अनुमान 110 लाख टन के आसपास है। 

कैसे बढ़े पैदावार 

किसानों को खाद बीज की व्यवस्था कम कीमत पर की जाए। सरसों में कोई भी रोग लगने पर तुरंत उपचार की व्यवस्था हो। सरसों की बुआई के लिए कम रेट पर बिजली देकर पानी उपलब्ध कराया जाए। बंजर जमीन पर ठेके पर सरसों की बिजाई करवाई जाए। कृषि विभाग में सरसों के लिए अलग से विभाग खोला जावे। प्रति हेक्टेयर पैदावार बढ़ाने के लिए क्वालिटी बीज मुहैया कराए जाएं। 

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